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Board Paper of Class 10 2004 Hindi (SET 1) - Solutions

(i) इस प्रश्न-पत्र के चार खण्ड हैं क, ख, ग और घ।
(ii) चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमश: दीजिए।


  • Question 1

    निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

    प्रारंभ में विवेकानंद को भारत में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त नहीं हुआ पर जब उन्होंने अमेरिका में नाम कमा लिया तो भारतवासी दौड़े मालाएँ लेकर स्वागत करने। रवींद्रनाथ ठाकुर को भी जब नोबल पुरुस्कार मिला तो बंगाली लोग दौड़े यह राग अलापते हुए-"अमादेर ठाकुर। अमादेर सोनार कंठोर सुपूत..."। दक्षिण भारत में कुछ समय पहले तक भरतनाट्यम और कथकली को कोई नहीं पूछता था, पर जब उसे विदेशों में मान मिलने लगा तो आश्चर्य से भारतवासी सोचने लगे, "अरे, हमारी संस्कृति में इतनी अपूर्व चीज़ें भी पड़ी थीं क्या ...!" यहाँ के लोगों को अपनी खूबसूरती नहीं नज़र आती, मगर पराये के सौंदर्य को देख कर मोहित हो जाते हैं। जिस देश में जन्म पाने के लिए मैक्समूलर ने जीवन भर प्रार्थना की इस देश के निवासी आज जर्मनी और विलायत जाना स्वर्ग जाने जैसा अनुभव करते हैं। ऐसे लोगों को प्राचीन "गुरु शिष्य संबंध" की महिमा सुनाना गधे को गणित सिखाने जैसा व्यर्थ प्रयास ही हो सकता है।

    एक बार सुप्रसिद्ध भारतीय पहलवान गामा मुंबई आए। उन्होंने विश्व के सारे पहलवानों को कुश्ती में चैलेंज दिया। अखबारों में यह समाचार प्रकाशित होते ही एक फ़ारसी पत्रकार ने उत्सुकतावश उनके निकट पहुँच कर उनसे पूछा - "साहब, विश्व के किसी भी पहलवान से लड़ने के लिए आप तैयार हैं तो आप अपने अमुक शिष्य से ही लड़कर विजय प्राप्त करके दिखाएँ?" गामा आजकल के शिक्षा-क्रम में रँगे नहीं थे। इसलिए उन्हें इन शब्दों ने हैरान कर दिया। वे मुँह फाड़कर उस पत्रकार का चेहरा ताकते ही रह गए। बाद में धीरे से कहा - "भाई साहब मैं हिंदुस्तानी हूँ। हमारा अपना एक निजी रहन-सहन है। शायद आप इससे परिचित नहीं हैं। जिस लड़के का आपने नाम लिया, वह मेरे पसीने की कमाई, मेरा खून है और मेरे बेटे से भी अधिक प्यारा है। इसमें और मुझमें फरक ही कुछ नहीं है। मैं लड़ा या वह लड़ा दोनों बराबर ही होगा। हमारी अपनी इस परंपरा को आप समझने की चेष्टा कीजिए। हम लोगों को वंश-परंपरा ही अधिक प्रिय है। ख्याति और प्रभाव में हम सदा यही चाहते हैं कि हम अपने शिष्यों से कम प्रमुख रहें। यानी हम यही चाहेंगे कि संसार में जितना नाम मैंने कमाया उससे कहीं अधिक मेरे शिष्य कमाएँ। मुझे लगता है, आप हिंदुस्तानी नहीं हैं।"

    भारत में गुरु-शिष्य संबंध का वह भव्य रुप आज साधुओं, पहलवानों और संगीतकारों में ही थोड़ा बहुत ही सही, पाया जाता है। भगवान रामकृष्ण बरसों योग्य शिष्य को पाने के लिए प्रार्थना करते रहे। उनके जैसे व्यक्ति को भी उत्तम शिष्य के लिए रो-रो कर प्रार्थना करनी पड़ी। इसी से समझा जा सकता है कि एक गुरु के लिए उत्तम शिष्य कितना महँगा और महत्त्वपूर्ण है। संतानहीन रहना उन्हें दु:ख नहीं देता पर बगैर शिष्य के रहने के लिए वे एकदम तैयार नहीं होते। इस संबंध में भगवान ईसा का एक कथन सदा स्मरणीय है। उन्होंने कहा था, "मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ कि जो मुझ पर विश्वास रखता है, ये काम जो मैं करता हूँ वह भी करेगा, वरन् इससे भी बड़े काम करेगा, क्योंकि मैं पिता के पास जाता हूँ।" यही बात है, गांधी जी बनने की क्षमता जिनमें है उन्हें गांधी जी अच्छे लगते हैं और वे ही उनके पीछे चलते हैं। विवेकानंद की रचना सिर्फ उन्हें पसंद आएगी जिनमें विवेकानंद बनने की अद्भुत शक्ति निहित है।

    कविता के मर्मज्ञ और रसिक स्वयं कवि से अधिक महान होते हैं। संगीत के पागल सुनने वाले ही स्वयं संगीतकार से अधिक संगीत का रसास्वादन करते हैं। यहाँ पूज्य नहीं, पुजारी ही श्रेष्ठ है। यहाँ सम्मान पाने वाले नहीं, सम्मान देने वाले महान हैं। स्वयं पुष्प में कुछ नहीं है, पुष्प का सौंदर्य उसे देखने वाले की दृष्टि में है। दुनिया में कुछ नहीं है। जो कुछ भी है हमारी चाह में, हमारी दृष्टि में है। यह अद्भुत भारतीय व्याख्या अजीब-सी लग सकती है पर हमारे पूर्वज सदा इसी पथ के यात्री रहे हैं।

    (i) भारत में विवेकानंद को सम्मान कब मिला? (2)

    (ii) मैक्समूलर ने किस देश में जन्म पाने की प्रार्थना की और क्यों? (2)

    (iii) गामा ने पत्रकार से क्या कहा? (2)

    (iv) भारत में गुरु-शिष्य सम्बन्ध का भव्य रुप कहाँ देखने को मिलता है? (2)

    (v) उपरोक्त गद्यांश का शीर्षक बताइए? (2)

    (vi) उपरोक्त गद्यांश में से कोई दो विशेषण छाँटिए? (2)

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  • Question 2

    निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
    मुझको देना शक्ति –
    कुछ अच्छा करने की
    सबका अच्छा करने की
    सबका दु:ख हरने की
    हर फूल खिलाने की
    हर शूल हटाने की
    मुझको देना शक्ति -
    हरियाली ले आऊँ
    खुशहाली दे पाऊँ
    नेह नीर बरसाऊँ
    धरती को सरसाऊँ
    मुझको देना शक्ति -
    मैं सबकी पीर हरुँ
    आँधी में धीर धरूँ
    पापों से सदा डरुँ
    जीवन में नया करुँ
    मुझको देना शक्ति -
    नन्हीं पौध लगाऊँ
    सींच सींच हरषाऊँ
    अनजाने आँगन को
    उपवन सा महकाऊँ
    (i) कवि ने अच्छा करने की शक्ति क्यों माँगी है? 2

    (ii) हरियाली लाने की कामना कवि ने क्यों की है? 2

    (iii) 'आँधी' से क्या तात्पर्य है? 2

    (iv) नन्हीं पौध लगाने से क्या आशय है? 1

    (v) 'अनजाने आँगन' को किस प्रकार महकाना चाहा है? 1

    अथवा

    आग के ही बीच में अपना बना घर देखिए।
    यहीं पर रहते रहेंगे हम उमर भर देखिए।।
    एक दिन वे भी जलेंगे जो लपट से दूर हैं।
    आँधियों का उठ रहा दिल में वहाँ डर देखिए।।
    पैर धरती पर हमारे मन हुआ आकाश है।
    आप जब हमसे मिलेंगे, उठा यह सर देखिए।।
    जी रहे हैं वे नगर में द्वारपालों की तरह।
    कमर सजदे में झुकी है, पास जाकर देखिए।।
    टूटना मंजूर पर झुकना हमें आता नहीं।
    चलाकर ऊपर हमारे आप पत्थर देखिए।।
    भरोसे की बूँद को मोती बनाना है अगर।
    ज़िन्दगी की लहर को सागर बनाकर देखिए।।

    (i) आग के बीच में घर बनाने का क्या आशय है? 2

    (ii) 'लपट से दूर' होने का क्या तात्पर्य है? 2

    (iii) मन और पैर की कवि ने क्या स्थिति बताई है? 2

    (iv) द्वारपालों की तरह जीना किसे कहते हैं? 1

    (v) भरोसे की बूँद को मोती कैसे बनाया जा सकता है? 1

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  • Question 3

    निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 300 शब्दों में निबन्ध लिखिए –

    (क) भारतवर्ष एक अद्भुत देश है। इसका भौगोलिक सौंदर्य अप्रतिम है। यहाँ की सभ्यता एवं संस्कृति भी असाधारण है। यहाँ के निवासियों में भाषा, त्यौहार तथा रीतिरिवाजों की दृष्टि से भिन्नता होते हुए भी एकता की भावना है।

    (ख) भारत षड्-ऋतुओं का देश है। प्रत्येक ऋतु का अपना महत्त्व है। मेरी सर्वाधिक प्रिय ऋतु वसन्त है। वसन्त ऋतु में प्रकृति सुन्दरी अभिनव श्रृंगार करती है। इस ऋतु के विषय में अपने विचार लिखिए।

    (ग) जीवन में संगति का अत्यधिक महत्त्व है। सत्संगति का अभिप्राय अच्छे गुणों वाले व्यक्ति की संगति है। सुसंगति में रहने वाला व्यक्ति जीवन में सफलता प्राप्त करता है तथा कुसंगति में रहने वाला अन्तत: विनष्ट होता है। वास्तव में सुसंगति ही सब सुखों का मूल है। सत्संगति के महत्त्व पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

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  • Question 4

    ग्रीष्मावकाश में आपके पर्वतीय मित्र ने आपको आमंत्रित कर अनेक दर्शनीय स्थलों की सैर कराई। इसके लिए उसका आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद-पत्र लिखिए। 


    अथवा

     

    बनाव-श्रृंगार में अधिक समय नष्ट न करने की सलाह देते हुए बड़ी बहन की ओर से छोटी बहन को एक पत्र लिखिए।

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  • Question 5

    निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त क्रियाओं के भेद लिखिए –

    (i) राघवन दिनभर सोता है।

    (ii) सलमान क्रिकेट खेलता है।

    (iii) मुकेश खाना खिलवाता है।

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  • Question 6

    निम्नलिखित वाक्यों में अवयव से रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए –  

    (i) लता मंगेशकर कितना .................... गाती हैं।

    (ii) आपने स्नान किया है ......... नहीं।

    (iii) परीक्षा से ............ खूब पढ़ो।

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  • Question 7

    निम्नलिखित वाक्यों को मिलाकर एक सरल, एक मिश्र, एक संयुक्त वाक्य बनाइए –

    (i) पाकिस्तान ने कारगिल में घुसपैठ की।

    (ii) भारत ने पाकिस्तान को करारी मात दी।

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  • Question 8

    निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –

    (i) लड़का पत्र लिखता है। (कर्मवाच्य में)

    (ii) हलवाई द्वारा मिठाई बनाई गई। (कर्तृवाच्य में)

    (iii) लड़की रातभर सो न सकी। (भाववाच्य में)

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  • Question 9

    (i) किन्हीं दो का समास विग्रह कीजिए और समास का नाम भी लिखिए –

    व्यवहार कुशल, नीलकंठ, पाप-पुण्य

     

    (ii) निम्नलिखित शब्दों के एक अधिक अर्थ लिखिए –

    कनक, अज

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  • Question 10

    निम्नलिखित में से किसी एक काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
    (क) देखते ही रहोगे अनिमेष!
    थक गए हो?
    आँख लूँ मैं फेर?
    क्या हुआ यदि हो सके परिचित न पहली बार?
    यदि तुम्हारी माँ न माध्यम बनी होती आज
    मैं न सकता देख
    मैं न पाता जान
    तुम्हारी यह दंतुरित मुसकान
    धन्य तुम, माँ भी तुम्हारी धन्य!
    चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य!

    (i) बच्चे की माँ के विषय में कवि क्या कहता है? (2)

    (ii) कवि बच्चे और उसकी माँ को 'धन्य' क्यों कहता है? (2)

    (iii) कवि ने स्वयं को 'इतर' और 'अन्य' क्यों कहा है? (2)

    अथवा

    (ख) डार द्रुम पलना बिछौना नब पल्लव के,
    सुमन झिंगूला सोहै तन छबि भारी दै।
    पवन झूलावै, केकी-कीर बरतावै 'देव',
    कोकिल हलावै-हुलसावै कर तारी दै।।
    पूरित पराग सों उतारो करै राई नोन,
    कंजकली नायिका लतान सिर सारी दै।
    मदन महीप जू को बालक बसंत ताहि,
    प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै।।

    (i) कवि ने किसे पालना और बिछौना कहा है? (2)

    (ii) कौन सी नायिका किस प्रकार बालक बसन्त की नज़र उतारती है? (2)

    (iii) कवि ने बसंत को किसका पुत्र कहा है? (2)

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  • Question 11

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन का उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)

    (i) 'आत्मकथ्य' कविता में कवि आत्मकथा लिखने से क्यों बचना चाहता है?

    (ii) 'प्यारी राधिका को प्रतिबिंब सो लगत चन्द्र' – इस पंक्ति का भाव स्पष्ट करते हुए बताएँ कि इसमें कौन-सा अलंकार है?

    (iii) बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है?

    (iv) 'छाया मत छूना' शीर्षक कविता में कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?

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  • Question 12

    निम्नलिखित काव्यांशों में से किसी एक को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –
    (क) सो बिलगाउ बिहाइ समाजा।
    न त मारे जैहहिं सब राजा।।
    सुनि मुनिबचन लखन मुसुकाने।
    बोले परसुधरहि अवमाने।।
    बहु धनुही तोरी लरिकाई।
    कबहुँ न असि रिस कीन्हि गोसाईं।।
    येहि धनु पर ममता केहि हेतू।
    सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू।।
    रे नृपबालक कालबस बोलत तोहि न सँभार।
    धनुही सम त्रिपुरारिधनु बिदित सकल संसार।।

    (i) अंतिम दो पंक्तियों में कौन-से छन्द का प्रयोग किया गया है? (1)

    (ii) प्रथम पंक्ति में किस अलंकार का प्रयोग किया गया है? (1)

    (iii) यह पंक्तियाँ किस भाषा में लिखी गई हैं? (1)

    (iv) प्रथम दो पंक्तियों में किस छन्द का प्रयोग किया गया है? (1)

    (v) परशुराम ने लक्ष्मण से क्या कहा? (1)

    अथवा

    (ख) मधुप गुन-गुना कर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,
    मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज घनी।
    इस गंभीर अनंत-नीलिमा में असंख्य जीवन-इतिहास
    यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य-मलिन उपहास।
    तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती।
    तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे-यह गागर रीति।

    (i) भँवरा गुनगुना कर कौन-सी कहानी कहता है? (1)

    (ii) इन पंक्तियों में से कोई दो तत्सम शब्द छाँटकर लिखिए। (1)

    (iii) अन्तिम पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। (1)

    (iv) यह काव्यांश आधुनिक काल की किस काव्यधारा से सम्बन्धित है? (1)

    (v) कवि अपनी आत्म-कथा क्यों नहीं कहना चाहता? (1)

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  • Question 13

    निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक गद्यांश के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए – 

    (क) फ़ादर को याद करना एक उदास संगीत को सुनने जैसा है। उनको देखना करुणा के निर्मल जल में स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना कर्म के संकल्प से भरना था। मुझे 'परिमल' के वे दिन याद आते हैं जब हम सब एक पारिवारिक रिश्ते में बँधे जैसे थे जिसके बड़े फ़ादर बुल्के थे। हमारे हँसी-मज़ाक में वह निर्लिप्त शामिल रहते, हमारी गोष्ठियों में वह गंभीर बहस करते, हमारी रचनाओं पर बेबाक राय और सुझाव देते और हमारे घरों के किसी भी उत्सव औऱ संस्कार में वह बड़े भाई और पुरोहित जैसे खड़े हो हमें अपने आशीषों से भर देते। मुझे अपना बच्चा और फ़ादर का उसके मुख में पहली बार अन्न डालना याद आता है और नीली आँखों की चमक में तैरता वात्सल्य भी–जैसे किसी ऊँचाई पर देवदारु की छाया में खड़े हों।

    (i) फ़ादर को देखना और बात करना कैसा लगता था? (2)

    (ii) लेखक को फ़ादर की कौन-सी बातें याद आती हैं? (2)

    (iii) लेखक ने फ़ादर की तुलना ऊँचाई पर खड़े देवदारु की छाया से क्यों की है? (2)

    अथवा

    (ख) आज पीछे मुड़कर देखती हूँ तो इतना तो समझ में आता ही है क्या तो उस समय मेरी उम्र थी और क्या मेरा भाषण रहा होगा! यह तो डॉक्टर साहब का स्नेह था जो उनके मुँह से प्रशंसा बनकर बह रहा था या यह भी हो सकता है कि आज से पचास साल पहले अजमेर जैसे शहर में चारों ओर से उमड़ती भीड़ के बीच एक लड़की का बिना किसी संकोच और झिझक के यों धुँआधार बोलते चले जाना ही इसके मूल में रहा हो। पर पिताजी! कितनी तरह के अंतर्विरोधों के बीच जीते थे वे! एक ओर 'विशिष्ट' बनने और बनाने की प्रबल लालसा तो दूसरी ओर अपनी सामाजिक छवि के प्रति भी उतनी ही सजगता। पर क्या यह संभव है? क्या पिताजी को इस बात का बिल्कुल भी अहसास नहीं था कि इन दोनों का तो रास्ता ही टकराहट का है?

    (i) डॉ० साहब ने लेखिका के भाषण की प्रशंसा क्यों की? (2)

    (ii) लेखिका के पिताजी किस प्रकार के अन्तर्विरोध में जीते थे? (2)

    (iii) क्या विशिष्ट बनने तथा सामाजिक छवि के प्रति सजग रहने का रास्ता सहज कहा जा सकता है? (2)

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  • Question 14

    निम्नलिखित में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)

    (i) काशी में हो रहे कौन से परिवर्तन बिस्मिल्ला खाँ को व्यथित करते थे?

    (ii) "वो लंगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल" कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?

    (iii) "नवाब साहब ने बहुत ही यत्न सी खीरा काटा, नमक मिर्च बुरका, अंतत: सूँधकर ही खिड़की से बाहर फैंक दिया।" उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है?

    (iv) "स्त्रियों को पढ़ाने से अनर्थ होते हैं" – कुतर्कवादियों की इस दलील का खंडन द्विवेदी जी ने कैसे किया है, अपने शब्दों में लिखिए।

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  • Question 15

    (i) 'बालगोबिन भगत' रचना में लेखक को समाज का घृणिततम स्वरुप किन बातों में नज़र आता है? (3)

    (ii) स्पष्ट कीजिए कि बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे। (2)

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  • Question 16

    निम्नलिखित में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए –

    (i) 'साना साना हाथ जोड़ि' यात्रा वृतांत के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि प्रकृति ने जल-संचय की व्यवस्था किस प्रकार की है?

    (ii) "दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है।" इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।

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  • Question 17

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए – (2 + 2 + 2)

    (i) गंतोक को मेहनतकश बादशाहों का शहर क्यों कहा गया है?

    (ii) 'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा' में लेखक ने एक प्रेम-कथा के माध्यम से क्या अभिव्यक्त किया है?

    (iii) "नयी दिल्ली में सब था... सिर्फ नाक नहीं थी।" इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

    (iv) पहाड़ी रास्तों पर जगह जगह चेतावनियाँ क्यों लिखी जाती हैं?

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