Board Paper of Class 10 Hindi (A) Term-I 2021 Delhi(SET 4) (Series: JSK/2)- Solutions
निम्नलिखित निर्देशों को बहुत सावधानी से पढ़िए और उनका पूरी तरह से पालन कीजिए :
(i) इस प्रश्न-पत्र में कुल 54 प्रश्न दिये गए हैं जिनमें से केवल 40 प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
(ii) सभी प्रश्न समान अंक के हैं।
(iii) प्रश्न-पत्र में तीन खंड हैं - खंड - क, ख और ग।
(iv) खंड-क में 20 प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्न संख्या 1 से 20 में से 10 प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार देने हैं।
(v) खंड-ख में 20 प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्न संख्या 21 से 40 में से 16 प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार देने हैं।
(vi) खंड-ग में 14 प्रश्न पूछे गए हैं। प्रश्न संख्या 41 से 54 तक सभी प्रश्नों के उत्तर निर्देशानुसार देने हैं।
(vii) प्रत्येक खंड में निर्देशानुसार परीक्षार्थियों द्वारा पहले उत्तर किए गए वांछित प्रश्नों का ही मूल्यांकन किया जाएगा।
(viii) प्रत्येक प्रश्न के लिए केवल एक ही सही विकल्प है । एक विकल्प से अधिक उत्तर देने पर अंक नहीं दिये जाएंगे।
(ix) ऋणात्मक अंकन नहीं होगा।
- Question 1
बहुत से विद्वानों और चिंतकों ने इस बात को लेकर चिंता प्रकट की है कि भारतीय समाज आधुनिकता से बहुत दूर है और भारत के लोग अपने आप को आधुनिक बनाने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं।
नैतिकता, सौंन्दर्यबोध और अध्यात्म के समान आधुनिकता कोई शाश्वत मूल्य नहीं है। वह कई चीजों का एक सम्मिलित नाम है। औद्योगीकरण आधुनिकता की पहचान है। साक्षरता का सर्वव्यापी प्रसार आधुनिकता की सूचना देता है। नगर-सभ्यता का प्राधान्य आधुनिकता का गुण है। सीधी-सादी अर्थव्यवस्था मध्यकालीनता का लक्षण है। आधुनिक देश वह है, जिसकी अर्थव्यवस्था जटिल और प्रसरणशील हो और जो ‘टेक-ऑफ’ की स्थिति को पार कर चुकी हो।
आधुनिक समाज मुक्त और मद्यकालीन समाज बंद होता है। बंद समाज वह है जो अन्य समाजों से प्रभाव ग्रहण नहीं करता, जो अपने सदस्यों को भी धन या संस्कृति की दीर्घा में पर उठने की खुली छूट नदीं देता, जो जाति-प्रथा और गोत्रवाद से पीड़ीत है, जो अंधविश्वासी, गतानुगतिक और संकीर्ण है।
आधुनिक समाज में उन्मुक्ता होती है। उस समाज के लोग अन्य समाजों के लोगों से मिलने-जुलने में नहीं घबराते, न वे उन्नति का मार्ग खास जातियों और खास गोत्रों के लिए सीमित रखते हैं। आधुनिक समाज सामरिक दृष्टि से बी बलवान समाज होता है। जो देश अपनी रक्षा के लिए भी लड़ने में असमर्थ है, उसे आधुनिक कहलाने का कोई अधिकार नहीं है। आधुनिक समाज के लोग आलसी और निकम्मे नहीं होते। आधुनिक समाज का एक लक्षण यह बी है कि उसकी हर आदमी के पीछे होने वाली आय अधिक होती है, उसके हर आदमी के पास कोई धंधा या काम होता है और अवकाश की शिकायत प्रायः हर एक को रहती है।
गद्यांश के आधार पर सही तथ्य को चुनिए।
(a) आधुनिक समाज मुक्त तथा मध्यकालीन समाज खुला होता है।
(b) आधुनिक समाज बंद तथा मध्यकालीन समाज मुक्त होता है।
(c) आधुनिक समाज मुक्त तथा मध्यकालीन समाज बंद होता है।
(d) आधुनिक समाज उन्मुक्त तथा मध्यकालीन समाज जड़ होता है। VIEW SOLUTION
- Question 2
बहुत से विद्वानों और चिंतकों ने इस बात को लेकर चिंता प्रकट की है कि भारतीय समाज आधुनिकता से बहुत दूर है और भारत के लोग अपने आप को आधुनिक बनाने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं।
नैतिकता, सौंन्दर्यबोध और अध्यात्म के समान आधुनिकता कोई शाश्वत मूल्य नहीं है। वह कई चीजों का एक सम्मिलित नाम है। औद्योगीकरण आधुनिकता की पहचान है। साक्षरता का सर्वव्यापी प्रसार आधुनिकता की सूचना देता है। नगर-सभ्यता का प्राधान्य आधुनिकता का गुण है। सीधी-सादी अर्थव्यवस्था मध्यकालीनता का लक्षण है। आधुनिक देश वह है, जिसकी अर्थव्यवस्था जटिल और प्रसरणशील हो और जो ‘टेक-ऑफ’ की स्थिति को पार कर चुकी हो।
आधुनिक समाज मुक्त और मद्यकालीन समाज बंद होता है। बंद समाज वह है जो अन्य समाजों से प्रभाव ग्रहण नहीं करता, जो अपने सदस्यों को भी धन या संस्कृति की दीर्घा में पर उठने की खुली छूट नदीं देता, जो जाति-प्रथा और गोत्रवाद से पीड़ीत है, जो अंधविश्वासी, गतानुगतिक और संकीर्ण है।
आधुनिक समाज में उन्मुक्ता होती है। उस समाज के लोग अन्य समाजों के लोगों से मिलने-जुलने में नहीं घबराते, न वे उन्नति का मार्ग खास जातियों और खास गोत्रों के लिए सीमित रखते हैं। आधुनिक समाज सामरिक दृष्टि से बी बलवान समाज होता है। जो देश अपनी रक्षा के लिए भी लड़ने में असमर्थ है, उसे आधुनिक कहलाने का कोई अधिकार नहीं है। आधुनिक समाज के लोग आलसी और निकम्मे नहीं होते। आधुनिक समाज का एक लक्षण यह बी है कि उसकी हर आदमी के पीछे होने वाली आय अधिक होती है, उसके हर आदमी के पास कोई धंधा या काम होता है और अवकाश की शिकायत प्रायः हर एक को रहती है।शाश्वत मूल्यों में शामिल हैं –
VIEW SOLUTION
(a) नैतिकता, सौंदर्यबोध और अध्यात्म
(b) नैतिकता, सौंदर्यबोध और आधुनिकता
(c) नैतिकता, अध्यात्म और आधुनिकता
(d) सौंदर्यबोध, अध्यात्म और आधुनिकता
- Question 3
बहुत से विद्वानों और चिंतकों ने इस बात को लेकर चिंता प्रकट की है कि भारतीय समाज आधुनिकता से बहुत दूर है और भारत के लोग अपने आप को आधुनिक बनाने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं।
नैतिकता, सौंन्दर्यबोध और अध्यात्म के समान आधुनिकता कोई शाश्वत मूल्य नहीं है। वह कई चीजों का एक सम्मिलित नाम है। औद्योगीकरण आधुनिकता की पहचान है। साक्षरता का सर्वव्यापी प्रसार आधुनिकता की सूचना देता है। नगर-सभ्यता का प्राधान्य आधुनिकता का गुण है। सीधी-सादी अर्थव्यवस्था मध्यकालीनता का लक्षण है। आधुनिक देश वह है, जिसकी अर्थव्यवस्था जटिल और प्रसरणशील हो और जो ‘टेक-ऑफ’ की स्थिति को पार कर चुकी हो।
आधुनिक समाज मुक्त और मद्यकालीन समाज बंद होता है। बंद समाज वह है जो अन्य समाजों से प्रभाव ग्रहण नहीं करता, जो अपने सदस्यों को भी धन या संस्कृति की दीर्घा में पर उठने की खुली छूट नदीं देता, जो जाति-प्रथा और गोत्रवाद से पीड़ीत है, जो अंधविश्वासी, गतानुगतिक और संकीर्ण है।
आधुनिक समाज में उन्मुक्ता होती है। उस समाज के लोग अन्य समाजों के लोगों से मिलने-जुलने में नहीं घबराते, न वे उन्नति का मार्ग खास जातियों और खास गोत्रों के लिए सीमित रखते हैं। आधुनिक समाज सामरिक दृष्टि से बी बलवान समाज होता है। जो देश अपनी रक्षा के लिए भी लड़ने में असमर्थ है, उसे आधुनिक कहलाने का कोई अधिकार नहीं है। आधुनिक समाज के लोग आलसी और निकम्मे नहीं होते। आधुनिक समाज का एक लक्षण यह बी है कि उसकी हर आदमी के पीछे होने वाली आय अधिक होती है, उसके हर आदमी के पास कोई धंधा या काम होता है और अवकाश की शिकायत प्रायः हर एक को रहती है।
विद्वानों और चिंतकों ने किस बात के चिंता व्यक्त की है?
(a) भारतीय समाज से आधुनिकता अभी बहुत दूर है।
(b) भारतीय समाज से न सिर्फ आधुनिकता दूर है बल्कि उसको लाने के प्रयास भी नहीं हो रहे।
(c) भारतीय समाज एक पांरपरिक समाज है जिसमें आधुनिकता अभी नहीं आ सकेगी।
(d) वैसे तो भारतीय समाज से आधुनिकता दूर हैं पर उसे जाने के प्रयास अवश्य हो रहे हैं। VIEW SOLUTION
- Question 4
बहुत से विद्वानों और चिंतकों ने इस बात को लेकर चिंता प्रकट की है कि भारतीय समाज आधुनिकता से बहुत दूर है और भारत के लोग अपने आप को आधुनिक बनाने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं।
VIEW SOLUTION
नैतिकता, सौंन्दर्यबोध और अध्यात्म के समान आधुनिकता कोई शाश्वत मूल्य नहीं है। वह कई चीजों का एक सम्मिलित नाम है। औद्योगीकरण आधुनिकता की पहचान है। साक्षरता का सर्वव्यापी प्रसार आधुनिकता की सूचना देता है। नगर-सभ्यता का प्राधान्य आधुनिकता का गुण है। सीधी-सादी अर्थव्यवस्था मध्यकालीनता का लक्षण है। आधुनिक देश वह है, जिसकी अर्थव्यवस्था जटिल और प्रसरणशील हो और जो ‘टेक-ऑफ’ की स्थिति को पार कर चुकी हो।
आधुनिक समाज मुक्त और मद्यकालीन समाज बंद होता है। बंद समाज वह है जो अन्य समाजों से प्रभाव ग्रहण नहीं करता, जो अपने सदस्यों को भी धन या संस्कृति की दीर्घा में पर उठने की खुली छूट नदीं देता, जो जाति-प्रथा और गोत्रवाद से पीड़ीत है, जो अंधविश्वासी, गतानुगतिक और संकीर्ण है।
आधुनिक समाज में उन्मुक्ता होती है। उस समाज के लोग अन्य समाजों के लोगों से मिलने-जुलने में नहीं घबराते, न वे उन्नति का मार्ग खास जातियों और खास गोत्रों के लिए सीमित रखते हैं। आधुनिक समाज सामरिक दृष्टि से बी बलवान समाज होता है। जो देश अपनी रक्षा के लिए भी लड़ने में असमर्थ है, उसे आधुनिक कहलाने का कोई अधिकार नहीं है। आधुनिक समाज के लोग आलसी और निकम्मे नहीं होते। आधुनिक समाज का एक लक्षण यह बी है कि उसकी हर आदमी के पीछे होने वाली आय अधिक होती है, उसके हर आदमी के पास कोई धंधा या काम होता है और अवकाश की शिकायत प्रायः हर एक को रहती है।
आधुनिक समाज की विशिष्टताओं में शामिल है –
(क) उन्मुक्तता
(ख) सामरिक बल
(ग) आलस्य
उपरोक्त विकल्पों के आधार पर निम्नलिखित विकल्पों में सही विकल्प का चयन कीजिए:
(a) (क), (ख) और (ग) तीनों
(b) (क) और (ग)
(c) (ख) और (ग)
(d) (ख) और (क)
- Question 5
बहुत से विद्वानों और चिंतकों ने इस बात को लेकर चिंता प्रकट की है कि भारतीय समाज आधुनिकता से बहुत दूर है और भारत के लोग अपने आप को आधुनिक बनाने की कोशिश भी नहीं कर रहे हैं।
नैतिकता, सौंन्दर्यबोध और अध्यात्म के समान आधुनिकता कोई शाश्वत मूल्य नहीं है। वह कई चीजों का एक सम्मिलित नाम है। औद्योगीकरण आधुनिकता की पहचान है। साक्षरता का सर्वव्यापी प्रसार आधुनिकता की सूचना देता है। नगर-सभ्यता का प्राधान्य आधुनिकता का गुण है। सीधी-सादी अर्थव्यवस्था मध्यकालीनता का लक्षण है। आधुनिक देश वह है, जिसकी अर्थव्यवस्था जटिल और प्रसरणशील हो और जो ‘टेक-ऑफ’ की स्थिति को पार कर चुकी हो।
आधुनिक समाज मुक्त और मद्यकालीन समाज बंद होता है। बंद समाज वह है जो अन्य समाजों से प्रभाव ग्रहण नहीं करता, जो अपने सदस्यों को भी धन या संस्कृति की दीर्घा में पर उठने की खुली छूट नदीं देता, जो जाति-प्रथा और गोत्रवाद से पीड़ीत है, जो अंधविश्वासी, गतानुगतिक और संकीर्ण है।
आधुनिक समाज में उन्मुक्ता होती है। उस समाज के लोग अन्य समाजों के लोगों से मिलने-जुलने में नहीं घबराते, न वे उन्नति का मार्ग खास जातियों और खास गोत्रों के लिए सीमित रखते हैं। आधुनिक समाज सामरिक दृष्टि से बी बलवान समाज होता है। जो देश अपनी रक्षा के लिए भी लड़ने में असमर्थ है, उसे आधुनिक कहलाने का कोई अधिकार नहीं है। आधुनिक समाज के लोग आलसी और निकम्मे नहीं होते। आधुनिक समाज का एक लक्षण यह बी है कि उसकी हर आदमी के पीछे होने वाली आय अधिक होती है, उसके हर आदमी के पास कोई धंधा या काम होता है और अवकाश की शिकायत प्रायः हर एक को रहती है।
एक बंद समाज की विशेषताओं में किसे नहीं रखा जाएगा?
(a) अन्य समाजों से प्रभाव ग्रहण नहीं करना।
(b) जाति-प्रथा ओर गोत्रवाद से पीड़ित रहना।
(c) धन या संस्कृति के क्षेत्र में खुलि छूट देना।
(d) अंधविश्वासी, पिछड़ा और संकीर्ण होना। VIEW SOLUTION
- Question 6
बंगाल की शस्य-श्यामला धरती का सौंदर्य अविस्मरणीय है। इसके मनोहर और उन्मुक्त सौंदर्य को प्रतिभाशाली रचनाकार अपने गीतों, निबंधों और कविताओं में बाँधने की कोशिश करते रहते हैं लेकिन इसके मायावी और लोकोत्तर आकर्षण का रंच मात्र ही वे रूपायित करने में सफल हो पाए हैं । अविभाजित बंगाल का सौंदर्य किसी भी संवेदनशील मस्तिष्क के भीतर हलचल पैदा कर सकता है। चाँदी सी चमकती मीलो लंबी नहरों और नदियों के बीच पन्नों की तरह चमकते हरे-भरे खेतों के चित्र संवेदनशील मन को अपूर्व आनंद से भर देते हैं। हरे-भरे खेतों में पके दानों की लहलहाती सुनहरी फसल, हवा में फुसफुसाते लंबे ताड़ के वृक्ष और साल की पत्तियों की बहती हुई मंद-मंद हवा, कंचनजंघा के उत्तंग शिखर, सुंदरवन के घने जंगल, दीघा के सुंदर रेतीले समुद्र तट और उत्तर बंगाल के हरे-भरे चाय के बागानआँखों में रचे बसे रहते हैं । प्राकृतिक छाटाओं से भरी-पूरी यह धरती युगों से महान लेखकों, कवियों और कलाकारों को प्रेरित करती रही है । इस अनोखे वरदान के केवल वही पात्र हैं जिन्हें इस धरती पर पैदा होने का सौभाग्य मिला है अथवा वे हैं जो अविभाजित बंगाल में रह चुके हैं।
किसी संवेदनशील मन को अपूर्व आनंद से भर देते हैं?
(a) नदियों , नहरों और खेतों के चित्र
(b) नदियों, समुद्रों और हीरे-पन्ने के दृश्य
(c) चाँदी की चमक और पन्नों की हरियाली
(d) फसलों और पेड़ों के मिले-जुले दृश्य VIEW SOLUTION
- Question 7
बंगाल की शस्य-श्यामला धरती का सौंदर्य अविस्मरणीय है। इसके मनोहर और उन्मुक्त सौंदर्य को प्रतिभाशाली रचनाकार अपने गीतों, निबंधों और कविताओं में बाँधने की कोशिश करते रहते हैं लेकिन इसके मायावी और लोकोत्तर आकर्षण का रंच मात्र ही वे रूपायित करने में सफल हो पाए हैं । अविभाजित बंगाल का सौंदर्य किसी भी संवेदनशील मस्तिष्क के भीतर हलचल पैदा कर सकता है। चाँदी सी चमकती मीलो लंबी नहरों और नदियों के बीच पन्नों की तरह चमकते हरे-भरे खेतों के चित्र संवेदनशील मन को अपूर्व आनंद से भर देते हैं। हरे-भरे खेतों में पके दानों की लहलहाती सुनहरी फसल, हवा में फुसफुसाते लंबे ताड़ के वृक्ष और साल की पत्तियों की बहती हुई मंद-मंद हवा, कंचनजंघा के उत्तंग शिखर, सुंदरवन के घने जंगल, दीघा के सुंदर रेतीले समुद्र तट और उत्तर बंगाल के हरे-भरे चाय के बागानआँखों में रचे बसे रहते हैं । प्राकृतिक छाटाओं से भरी-पूरी यह धरती युगों से महान लेखकों, कवियों और कलाकारों को प्रेरित करती रही है । इस अनोखे वरदान के केवल वही पात्र हैं जिन्हें इस धरती पर पैदा होने का सौभाग्य मिला है अथवा वे हैं जो अविभाजित बंगाल में रह चुके हैं।
लेखक की दृष्टि में बंगाल की शस्य-श्यामला धरती का सौंदर्य कैसा नहीं है?
(a) अविस्मरणीय
(b) मायावी
(c) आकर्षण
(d) असामान्य VIEW SOLUTION
- Question 8
बंगाल की शस्य-श्यामला धरती का सौंदर्य अविस्मरणीय है। इसके मनोहर और उन्मुक्त सौंदर्य को प्रतिभाशाली रचनाकार अपने गीतों, निबंधों और कविताओं में बाँधने की कोशिश करते रहते हैं लेकिन इसके मायावी और लोकोत्तर आकर्षण का रंच मात्र ही वे रूपायित करने में सफल हो पाए हैं । अविभाजित बंगाल का सौंदर्य किसी भी संवेदनशील मस्तिष्क के भीतर हलचल पैदा कर सकता है। चाँदी सी चमकती मीलो लंबी नहरों और नदियों के बीच पन्नों की तरह चमकते हरे-भरे खेतों के चित्र संवेदनशील मन को अपूर्व आनंद से भर देते हैं। हरे-भरे खेतों में पके दानों की लहलहाती सुनहरी फसल, हवा में फुसफुसाते लंबे ताड़ के वृक्ष और साल की पत्तियों की बहती हुई मंद-मंद हवा, कंचनजंघा के उत्तंग शिखर, सुंदरवन के घने जंगल, दीघा के सुंदर रेतीले समुद्र तट और उत्तर बंगाल के हरे-भरे चाय के बागानआँखों में रचे बसे रहते हैं । प्राकृतिक छाटाओं से भरी-पूरी यह धरती युगों से महान लेखकों, कवियों और कलाकारों को प्रेरित करती रही है । इस अनोखे वरदान के केवल वही पात्र हैं जिन्हें इस धरती पर पैदा होने का सौभाग्य मिला है अथवा वे हैं जो अविभाजित बंगाल में रह चुके हैं।
निम्नलिखित में से कौन सा युग गद्दांश के आधार पर सही हे?
(a) फसल : घनी
(b) समुद्र तट : रेतीले
(c) कंचनजंघा : मंद हवा
(d) चाय बागान : सुनहरे VIEW SOLUTION
- Question 9
बंगाल की शस्य-श्यामला धरती का सौंदर्य अविस्मरणीय है। इसके मनोहर और उन्मुक्त सौंदर्य को प्रतिभाशाली रचनाकार अपने गीतों, निबंधों और कविताओं में बाँधने की कोशिश करते रहते हैं लेकिन इसके मायावी और लोकोत्तर आकर्षण का रंच मात्र ही वे रूपायित करने में सफल हो पाए हैं । अविभाजित बंगाल का सौंदर्य किसी भी संवेदनशील मस्तिष्क के भीतर हलचल पैदा कर सकता है। चाँदी सी चमकती मीलो लंबी नहरों और नदियों के बीच पन्नों की तरह चमकते हरे-भरे खेतों के चित्र संवेदनशील मन को अपूर्व आनंद से भर देते हैं। हरे-भरे खेतों में पके दानों की लहलहाती सुनहरी फसल, हवा में फुसफुसाते लंबे ताड़ के वृक्ष और साल की पत्तियों की बहती हुई मंद-मंद हवा, कंचनजंघा के उत्तंग शिखर, सुंदरवन के घने जंगल, दीघा के सुंदर रेतीले समुद्र तट और उत्तर बंगाल के हरे-भरे चाय के बागानआँखों में रचे बसे रहते हैं । प्राकृतिक छाटाओं से भरी-पूरी यह धरती युगों से महान लेखकों, कवियों और कलाकारों को प्रेरित करती रही है । इस अनोखे वरदान के केवल वही पात्र हैं जिन्हें इस धरती पर पैदा होने का सौभाग्य मिला है अथवा वे हैं जो अविभाजित बंगाल में रह चुके हैं।
बंगाल की भूमि के विषय में कथन और कारण की सत्यता परखिए:
कथन: यह धरती युगों से महान लेखकों, कवियों और कलाकारों को प्रेरित करती रही है।
कारण: यह धरती युगों से प्राकृतिक छटाओं से भरपूर है।
(a) कथन और कारण दोनों असत्य हैं।
(b) कथन और कारण दोनों सत्य हैं।
(c) कथन सत्य पर कारण असत्य हैं।
(d) कथन असत्य है पर कारण सत्य हैं। VIEW SOLUTION
- Question 10
बंगाल की शस्य-श्यामला धरती का सौंदर्य अविस्मरणीय है। इसके मनोहर और उन्मुक्त सौंदर्य को प्रतिभाशाली रचनाकार अपने गीतों, निबंधों और कविताओं में बाँधने की कोशिश करते रहते हैं लेकिन इसके मायावी और लोकोत्तर आकर्षण का रंच मात्र ही वे रूपायित करने में सफल हो पाए हैं । अविभाजित बंगाल का सौंदर्य किसी भी संवेदनशील मस्तिष्क के भीतर हलचल पैदा कर सकता है। चाँदी सी चमकती मीलो लंबी नहरों और नदियों के बीच पन्नों की तरह चमकते हरे-भरे खेतों के चित्र संवेदनशील मन को अपूर्व आनंद से भर देते हैं। हरे-भरे खेतों में पके दानों की लहलहाती सुनहरी फसल, हवा में फुसफुसाते लंबे ताड़ के वृक्ष और साल की पत्तियों की बहती हुई मंद-मंद हवा, कंचनजंघा के उत्तंग शिखर, सुंदरवन के घने जंगल, दीघा के सुंदर रेतीले समुद्र तट और उत्तर बंगाल के हरे-भरे चाय के बागानआँखों में रचे बसे रहते हैं । प्राकृतिक छाटाओं से भरी-पूरी यह धरती युगों से महान लेखकों, कवियों और कलाकारों को प्रेरित करती रही है । इस अनोखे वरदान के केवल वही पात्र हैं जिन्हें इस धरती पर पैदा होने का सौभाग्य मिला है अथवा वे हैं जो अविभाजित बंगाल में रह चुके हैं।
इस गद्दांश का केंद्रीय-विषय है
(a) बंगाल के जादू को बताना
(b) अविभाजित बंगाल की धरती का सौंदर्य
(c) बंगाल में बिताए दिनों की याद
(d) प्रकृति का मनुष्य के ऊपर पड़ने वाला प्रभाव VIEW SOLUTION
- Question 11
चमड़े का रंग मनुष्य-मनुजता को बाँटे
यह है जघन्य अपमान प्रकृति का, मानव का
धरती पर घृणा जिए, मर जाए प्रीति प्यार
यह धर्म मनुज का नहीं, धर्म दानव का !
हा! प्रेम-नाम ही है रे जिसका महाकाव्य
यदि वही नहीं तो सृष्टि सृष्टि सभ्यता जड़ मृत है
यदि वही नहीं तो ज्ञान सकल है व्यर्थ यहाँ ।
है गर्व तुम्हें जो अपनी उज्ज्वल सफेदी पर
वह मिथ्या है, छल है, घमंड है चेहरे का
रंगों का राजा तो है रंग भीतर वाला
बाहरी रंग तो द्वारपाल है पहरे का।
दुनिया ऐसी तस्वीर कि जिसके खाके में
आधी गोराई तो आधी कजलाई है,
पाँवों के नीचे यदि गौर वर्ण वसुधा
तो सिर पर श्याम गगन की छाया छाई है।
काव्यांश में मुख्य रूप से किस समस्या का उल्लेख किया गया है?
(a) लिंगभेद
(b) असमानता
(c) रंगभेद
(d) गैर-बराबरी VIEW SOLUTION
- Question 12
चमड़े का रंग मनुष्य-मनुजता को बाँटे
यह है जघन्य अपमान प्रकृति का, मानव का
धरती पर घृणा जिए, मर जाए प्रीति प्यार
यह धर्म मनुज का नहीं, धर्म दानव का !
हा! प्रेम-नाम ही है रे जिसका महाकाव्य
यदि वही नहीं तो सृष्टि सृष्टि सभ्यता जड़ मृत है
यदि वही नहीं तो ज्ञान सकल है व्यर्थ यहाँ ।
है गर्व तुम्हें जो अपनी उज्ज्वल सफेदी पर
वह मिथ्या है, छल है, घमंड है चेहरे का
रंगों का राजा तो है रंग भीतर वाला
बाहरी रंग तो द्वारपाल है पहरे का।
दुनिया ऐसी तस्वीर कि जिसके खाके में
आधी गोराई तो आधी कजलाई है,
पाँवों के नीचे यदि गौर वर्ण वसुधा
तो सिर पर श्याम गगन की छाया छाई है।
कवि के अनुसार जीवन व्यर्थ कब होता है?
(a) प्रेम नहीं होने पर
(b) मनुष्यता से हीन होने पर
(c) सभ्यता के जड़ होने पर
(d) ज्ञान से विहिन होने पर VIEW SOLUTION
- Question 13
चमड़े का रंग मनुष्य-मनुजता को बाँटे
यह है जघन्य अपमान प्रकृति का, मानव का
धरती पर घृणा जिए, मर जाए प्रीति प्यार
यह धर्म मनुज का नहीं, धर्म दानव का !
हा! प्रेम-नाम ही है रे जिसका महाकाव्य
यदि वही नहीं तो सृष्टि सृष्टि सभ्यता जड़ मृत है
यदि वही नहीं तो ज्ञान सकल है व्यर्थ यहाँ ।
है गर्व तुम्हें जो अपनी उज्ज्वल सफेदी पर
वह मिथ्या है, छल है, घमंड है चेहरे का
रंगों का राजा तो है रंग भीतर वाला
बाहरी रंग तो द्वारपाल है पहरे का।
दुनिया ऐसी तस्वीर कि जिसके खाके में
आधी गोराई तो आधी कजलाई है,
पाँवों के नीचे यदि गौर वर्ण वसुधा
तो सिर पर श्याम गगन की छाया छाई है।
उज्जवल सफेदी पर गर्व क्या है ?
(a) सदियों की परंपरा का पालन
(b) बाज़ार का दबाव और रंगभेद
(c) मिथ्या, छल और अभिमान
(d) सत्य, अभिमान और यकीन VIEW SOLUTION
- Question 14
चमड़े का रंग मनुष्य-मनुजता को बाँटे
यह है जघन्य अपमान प्रकृति का, मानव का
धरती पर घृणा जिए, मर जाए प्रीति प्यार
यह धर्म मनुज का नहीं, धर्म दानव का !
हा! प्रेम-नाम ही है रे जिसका महाकाव्य
यदि वही नहीं तो सृष्टि सृष्टि सभ्यता जड़ मृत है
यदि वही नहीं तो ज्ञान सकल है व्यर्थ यहाँ ।
है गर्व तुम्हें जो अपनी उज्ज्वल सफेदी पर
वह मिथ्या है, छल है, घमंड है चेहरे का
रंगों का राजा तो है रंग भीतर वाला
बाहरी रंग तो द्वारपाल है पहरे का।
दुनिया ऐसी तस्वीर कि जिसके खाके में
आधी गोराई तो आधी कजलाई है,
पाँवों के नीचे यदि गौर वर्ण वसुधा
तो सिर पर श्याम गगन की छाया छाई है।
कवि कहता है ‘रंगों का राजा तो है भीतर वाला’ – भीतर वाले रंग का क्या तात्पर्य है ?
(a) व्यक्तित्व का आकर्षण
(b) वास्तविक खूबसूरती
(c) व्यक्तिगत आचरण
(d) आंतरिक गुण और स्वभाव VIEW SOLUTION
- Question 15
चमड़े का रंग मनुष्य-मनुजता को बाँटे
यह है जघन्य अपमान प्रकृति का, मानव का
धरती पर घृणा जिए, मर जाए प्रीति प्यार
यह धर्म मनुज का नहीं, धर्म दानव का !
हा! प्रेम-नाम ही है रे जिसका महाकाव्य
यदि वही नहीं तो सृष्टि सृष्टि सभ्यता जड़ मृत है
यदि वही नहीं तो ज्ञान सकल है व्यर्थ यहाँ ।
है गर्व तुम्हें जो अपनी उज्ज्वल सफेदी पर
वह मिथ्या है, छल है, घमंड है चेहरे का
रंगों का राजा तो है रंग भीतर वाला
बाहरी रंग तो द्वारपाल है पहरे का।
दुनिया ऐसी तस्वीर कि जिसके खाके में
आधी गोराई तो आधी कजलाई है,
पाँवों के नीचे यदि गौर वर्ण वसुधा
तो सिर पर श्याम गगन की छाया छाई है।
गोरे और काले वर्ण के लिए प्रकृति से कौन सा प्रतीक दिया गया है ?
(a) राधा और कृष्ण का
(b) धरती और आसमान का
(c) नदियों और सागर का
(d) मनुज और दानव का VIEW SOLUTION
- Question 16
मैं जब लौटा तो देखा
पोटली में बँधै हुए बूँटों ने
फेंके हैं अंकुर।
दो दिनों के बाद आज लौटा हूँ वापस
अज़ीब गंध है घर में
किताबों, कपड़ों और निर्जन हवा की
फेंटी हुई गंध
पड़ी है चारों ओर धूल की एक परत और
जकड़ा है जग में बासी जल
जीवन की कितनी यात्राएँ करता रहा यह निर्जन मकान
मेरे साथ
तट की तरह स्थिर पर गतियों से भरा
सहता जल का समस्त कोलाहल –
सूख गए हैं नीम के दातौन
और पोटली मे बँधे हुए बूँटों ने फेंके हैं अंकुर
निर्जन घर में जीवन की जड़ों को
पोसते रहे हैं ये अंकुर
खोलता हूँ खिड़की –
और चारों ओर से दौड़ती है हवा
मानो इसी इंतजार मे खड़ी थी पल्लों से सट के
पूरे घर को जल भरी तसली-सा हिलाती
मुझसे बाहर मुझसे अनजान
जारी है जीवन की यात्रा अनवरत
बदल रहा है संसार
घर में किस प्रकार की गंध पसरी हुई थी ?
(a) बासी खाद्य पदार्थों की
(b) निर्जनता और बंद हवा की
(c) किताबों और धूल की
(d) अंकुरित चने की VIEW SOLUTION
- Question 17
मैं जब लौटा तो देखा
पोटली में बँधै हुए बूँटों ने
फेंके हैं अंकुर।
दो दिनों के बाद आज लौटा हूँ वापस
अज़ीब गंध है घर में
किताबों, कपड़ों और निर्जन हवा की
फेंटी हुई गंध
पड़ी है चारों ओर धूल की एक परत और
जकड़ा है जग में बासी जल
जीवन की कितनी यात्राएँ करता रहा यह निर्जन मकान
मेरे साथ
तट की तरह स्थिर पर गतियों से भरा
सहता जल का समस्त कोलाहल –
सूख गए हैं नीम के दातौन
और पोटली मे बँधे हुए बूँटों ने फेंके हैं अंकुर
निर्जन घर में जीवन की जड़ों को
पोसते रहे हैं ये अंकुर
खोलता हूँ खिड़की –
और चारों ओर से दौड़ती है हवा
मानो इसी इंतजार मे खड़ी थी पल्लों से सट के
पूरे घर को जल भरी तसली-सा हिलाती
मुझसे बाहर मुझसे अनजान
जारी है जीवन की यात्रा अनवरत
बदल रहा है संसार
पोटली में बँधे चनों के अंकुरित होने का क्या अर्थ है ?
(a) जीवन के बच जाने का
(b) उर्वरता और नव–जीवन का
(c) संभावनाओं के विस्तार का
(d) फसल बोने का समय हो गया | VIEW SOLUTION
- Question 18
मैं जब लौटा तो देखा
पोटली में बँधै हुए बूँटों ने
फेंके हैं अंकुर।
दो दिनों के बाद आज लौटा हूँ वापस
अज़ीब गंध है घर में
किताबों, कपड़ों और निर्जन हवा की
फेंटी हुई गंध
पड़ी है चारों ओर धूल की एक परत और
जकड़ा है जग में बासी जल
जीवन की कितनी यात्राएँ करता रहा यह निर्जन मकान
मेरे साथ
तट की तरह स्थिर पर गतियों से भरा
सहता जल का समस्त कोलाहल –
सूख गए हैं नीम के दातौन
और पोटली मे बँधे हुए बूँटों ने फेंके हैं अंकुर
निर्जन घर में जीवन की जड़ों को
पोसते रहे हैं ये अंकुर
खोलता हूँ खिड़की –
और चारों ओर से दौड़ती है हवा
मानो इसी इंतजार मे खड़ी थी पल्लों से सट के
पूरे घर को जल भरी तसली-सा हिलाती
मुझसे बाहर मुझसे अनजान
जारी है जीवन की यात्रा अनवरत
बदल रहा है संसार
मकान जड़ और एक स्थान पर स्थिर होने के बाद भी कवि की यात्राओं की गतिशीलता में सहयात्री है –
यह भाव किस पंक्ति में है ?
(a) निर्जन घर में जीवन की जड़ों को/पोसते रहे हैं ये अंकुर
(b) अज़ीब गंध है घर में/किताबों, कपड़ों और निर्जन हवा की
(c) तट की तरह स्थिर पर गतियों से भरा
(d) पूरे घर को जल भरी तसली–सा हिलाती VIEW SOLUTION
- Question 19
मैं जब लौटा तो देखा
पोटली में बँधै हुए बूँटों ने
फेंके हैं अंकुर।
दो दिनों के बाद आज लौटा हूँ वापस
अज़ीब गंध है घर में
किताबों, कपड़ों और निर्जन हवा की
फेंटी हुई गंध
पड़ी है चारों ओर धूल की एक परत और
जकड़ा है जग में बासी जल
जीवन की कितनी यात्राएँ करता रहा यह निर्जन मकान
मेरे साथ
तट की तरह स्थिर पर गतियों से भरा
सहता जल का समस्त कोलाहल –
सूख गए हैं नीम के दातौन
और पोटली मे बँधे हुए बूँटों ने फेंके हैं अंकुर
निर्जन घर में जीवन की जड़ों को
पोसते रहे हैं ये अंकुर
खोलता हूँ खिड़की –
और चारों ओर से दौड़ती है हवा
मानो इसी इंतजार मे खड़ी थी पल्लों से सट के
पूरे घर को जल भरी तसली-सा हिलाती
मुझसे बाहर मुझसे अनजान
जारी है जीवन की यात्रा अनवरत
बदल रहा है संसार
काव्यांश की शैली किस प्रकार की है?
(a) चित्रात्मक
(b) विवरणात्मक
(c) कथात्मक
(d) वर्णनात्मक VIEW SOLUTION
- Question 20
मैं जब लौटा तो देखा
पोटली में बँधै हुए बूँटों ने
फेंके हैं अंकुर।
दो दिनों के बाद आज लौटा हूँ वापस
अज़ीब गंध है घर में
किताबों, कपड़ों और निर्जन हवा की
फेंटी हुई गंध
पड़ी है चारों ओर धूल की एक परत और
जकड़ा है जग में बासी जल
जीवन की कितनी यात्राएँ करता रहा यह निर्जन मकान
मेरे साथ
तट की तरह स्थिर पर गतियों से भरा
सहता जल का समस्त कोलाहल –
सूख गए हैं नीम के दातौन
और पोटली मे बँधे हुए बूँटों ने फेंके हैं अंकुर
निर्जन घर में जीवन की जड़ों को
पोसते रहे हैं ये अंकुर
खोलता हूँ खिड़की –
और चारों ओर से दौड़ती है हवा
मानो इसी इंतजार मे खड़ी थी पल्लों से सट के
पूरे घर को जल भरी तसली-सा हिलाती
मुझसे बाहर मुझसे अनजान
जारी है जीवन की यात्रा अनवरत
बदल रहा है संसार
कवि के दो दिनों के बाद घर में लौटने पर घर की जो स्थिति है उससे कौन सी बात स्पष्ट रूप से कही जा सकती है?
(a) कवि का घर किसी निर्जन स्थान पर है |
(b) कवि के घर में बहुत बेतरतीबी फैली रहती है |
(c) कवि की अनुपस्थिति में किसी ने घर की सफाई नहीं की |
(d) कवि अपने घर में अकेला है और उसके न होने पर घर निर्जन था | VIEW SOLUTION
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