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Board Paper of Class 10 2016 Hindi (SET 2) - Solutions

(i) इस प्रश्न-पत्र के चार खंड हैं- क, ख, ग और घ।
(ii) चारों खंडों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमश: दीजिए।


  • Question 1
    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए।​
    उन दिनों मैं अपने छात्रों को आनुवंशिकी पढ़ाया करता था। उस समय मैं मांसपेशियों की कमजोरियों पर भी कुछ प्रयोग कर रहा था। इन प्रयोगों से ही ‘एपिजेनेटिक्स’ की विधा निकल कर आई थी। मैं मूल कोशिकाओं के प्रतिरूप तैयार करता था। ये मूल कोशिका की एकदम ठीक नकल होते थे। इन प्रतिरूपी कोशिकाओं को मैं एक-एक कर के अलग करता और उन्हें अलग-अगल वातावरण में रखता, अलग-अलग बर्तनों में।

    इस संस्कार में रखी कोशिकाओं हर 10-12 घंटे में विभाजित होती हैं, एक से दो हो जाती हैं। फिर अगले 10-12 घंटे में दो से चार, और फिर चार से आठ। इसी तरह दो हफ्ते में हजारों कोशिकाएँ तैयार होतीं। फिर मैंने तीन भिन्न वातावरण में कोशिकाओं की तीन भिन्न बस्तियाँ तैयार कीं। इन ‘बस्तियों’ का रासायनिक वातावरण एकदम अलग-अलग था। ठीक कुछ वैसे ही जैसे हर व्यक्ति के शरीर का वातावरण अलग होता है और एक ही शरीर के भीतर भी कई तरह केे वातावरण होते हैं। अलग-अलग वातावरण में भी रखी गई इन कोशिकाओं का ‘डी.एन.ए.’ तो एकदम समान था। उनका पर्यावरण, उनका वातावरण भिन्न था। जल्दी ही इस प्रयोग के नतीजे सामने आने लगे।

    एक बर्तन में उन्हीं कोशिकाओं ने हड्डी का रूप ले लिया था, एक में मांसपेशी का और तीसरे बर्तन में कोशिकाओं ने वसा या चर्बी का रूप ले लिया। यह प्रयोग इस सवाल का जवाब ढूँढने के लिये किया था कि कोशिकाओं की किस्मत कैसे तय होती है। सारी कोशिकाएँ एक ही मूल से निकली थीं। तो नए सिरे से यह सिद्ध हुआ कि कोशिकाओं की आनुवंशिकी नियति तय नहीं करती है। जवाब था; परिवेश। पर्यावरण। वातावरण।
     
    (क) लेखक ने आनुवंशिकी के प्रयोग के लिए सर्वप्रथम क्या किया?
    (i) मूल कोशिकाओं के प्रतिरुप तैयार कर भिन्न-भिन्न वातावरण में रखना
    (ii) कोशिकाओं के संस्कार को समझने का प्रयास
    (iii) अपने छात्रों को आनुवंशिकी का 'नियतिवाद' पढ़ाना
    (iv) 40 साल पहले का इतिहास समझाने का प्रयास

    (ख) संस्कार में रखी कोशिकाएँ हर 10 —12 घंटे में विभाजित होकर कितनी हो जाती हैं?
     (i) चौगुनी
     (ii) तिगुनी
     (iii) दुगुनी
     (iv) हजार गुनी

    (ग) लेखक ने किस प्रश्न का उत्तर समझने के लिए यह प्रयोग किया था?
     (i) कौन—सी कोशिकाएँ हड्डी बनती हैं
     (ii) कौन—सी कोशिकाएँ  मांसपेशी का रूप लेती हैं
    (iii) कोशिकाएँ  वसा में कैसे बदलती हैं
     (iii) कोशिकाओं की किस्मत कैसे निश्चित होती है

    (घ) प्रयोग से क्या नतीजा निकला?
     (i) कोशिकाओं की नियति तय करने वाला घटक है— परिवेश
     (ii) कोशिकाओं की आनुवंशिकी (डी. एन. ए.) उनकी नियति तय करती है
     (iii) मानव का स्वभाव कोशिकाओं की नियति तय करता है
     (iv) सर्वोच्च सत्ता कोशिकाओं की नियति तय करती है

    (ङ) अपने प्रयोग के दौरान लेखक तैयार करता था:
     (i) मूल कोशिकाएँ
     (ii) नई मांसपेशियाँ
     (iii) मूल कोशिकाओं की नकलें
     (iv) ​भित्र वातावरण
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  • Question 2
    निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए।
    सड़क मार्ग से हम आगे बढ़े और सरयूपुल पर ही बस्ती जिले की सीमा में प्रवेश किया। हमारा पहला पड़ाव कुशीनगर था, मगर हम कुछ देर मगहर में रुके। कबीर की निर्वाण भूमि, मगर फिरकापरस्तों ने उनकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया है और उन्हें मन्दिर और मकबरे में बाँट दिया है। मठ के महंत ने हमारे भोजन की व्यवस्था की और आसपास के स्कूल और कॉलेज की लड़़कियों से मुलाकात भी कराई। उनसे बातचीत से हमने जाना कि अब स्थितियाँ बदली हैं, लड़कियों की पढ़ाई और नौकरी पर ध्यान दिया जाता है। मगर सामाजिकता का लोप-सा होने लगा है, अब ब्याह और मरनी-हरनी में भी एका नजर नहीं आता। गीतों की बात चली तो वहाँ मौजूद पचास-साठ लड़कियों में किसी को भी लोकगीत याद नहीं थे।
     
    वहाँ से हम कुशीनगर पहुँचे। रात घिरने लगी थी, मगर हम पंडरी गाँव के लोगों से मिले। कुशीनगर से लगभग बीस किलोमीटर होने पर भी विकास का एक कण भी यहाँ नहीं पहुँचा था। मगर यहाँ के युवा सजग हैं, वे स्वप्रयास से स्कूल भी चलाते हैं। रात को हम बौद्ध मठ में ठहरे। यह मठ किसी शानदार विश्रामगृह से कम नहीं था। सुबह हम केसिया गाँव गए। सामाजिक और पारिवारिक विघटन के इस दौर में एकमात्र संयुक्त परिवार मिला। हमने उनसे बात की। उस परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला के पास तीज-त्योहार, गीत-गवनई की अनुपम थाती थी, मगर उनसे सीखने वाला कोई नहीं था। नई पीढ़ी लोक से विरत थी।

    (क) लेखक मगहर में रुकने के बाद सर्वप्रथम कहाँ रुकेः
    (i) बस्ती में
    (ii) कुशीनगर में
    (iii) कबीर की निर्वाण भूमि में
    (iv) पंडरी गाँव में

    (ख) कबीर की किस मेहनत पर पानी फिर गया?
    (i) साप्रदायिक भेदभाव से ऊपर उठाने का प्रयास
    (ii) हिन्दु धर्म के प्रचार-प्रसार का प्रयास
    (iii) ब्याह और मरनी में एका करने का प्रयास
    (iv) कुशीनगर को बचाने का प्रयास

    (ग) कौन सी विशेषता पंडरी गाँव के युवाओं की नहीं है :
    (i) सचेत हैं
    (ii) शिक्षा के प्रति सजग हैं
    (iii) विकास से वंचित हैं
    (iv) खेती के लिए नए अनुसंधान करते हैं

    (घ) "मगर सामाजिकता का लोप-सा होने लगा है,"- का भाव है :
    (i) सामाजिक सरोकारों का अभाव
    (ii) मरने-जीने पर एकता दिखती है
    (iii) सांस्कृतिक ज्ञान का आभाव
    (iv) सौहार्द्रपूर्ण व्यवहार

    (ङ) गद्यांश के लिए उचित शीर्षक है :
    (i) मगहर से कुशीनगर
    (ii) हमारी यात्रा हमारा देश
    (iii) सरयू से बागमती तक
    (iv) कबीर की अनुपम थाती
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  • Question 3
    निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए :
    जब बचपन तुम्हारी गोद में
    आने से कतराने लगे,
    जब माँ की कोख से झाँकती ज़िंदगी
    बाहर आने से घबराने लगे,
    समझो कुछ गलत है।
    जब तलवारें फूलों पर,
    जोर आज़माने लगें
    जब मासूम आँखों में
    खौफ़ नज़र आने लगे
    समझो कुछ गलत है।
    जब किलकारियाँ सहम जाएँ
    जब तोतली बोलियाँ, खामोश हो जाएँ, समझो ......
    कुछ नहीं, बहुत कुछ गतल है
    क्योंकि जोर से बारिश होनी चाहिए थी,
    पूरी दुनिया में, हर जगह, टपकने चाहिए थे आँसू,
    रोना चाहिए था ऊपर वाले को, आसमाँ से फूट फूट कर
    शर्म से झुकनी चाहिए थीं, इंसानी सभ्यता की गर्दनें
    शोक का नहीं, सोच का वक्त है
    मातम नहीं, सवालों का वक्त है
    अगर इसके बाद भी सर उठा कर
    खड़ा हो सकता है इंसान
    समझो कि बहुत कुछ गलत है।

    (क) माँ की कोख से झाँकती जिंदगी को घबराहट क्यों हो सकती है?
    (i) उसे बाहर की असुरक्षा का आभास हो रहा है
    (ii) उसे प्रदूषण को डर सता रहा है
    (iii) उसे माँ ने बाहर की वास्तविकता बताई है
    (iv) बाहर का मौसम अनुकूल नहीं है

    (ख) जब तलवारें फूलों पर जोर आज़माने लगें, जब मासूम आँखों में खौफ़ नज़र आने-लगे का तात्पर्य है :
    (i) जब मासूमों पर अत्याचार होने लगे
    (ii) मानव अपने स्वार्थ के लिए उद्यान उजाड़ने लगे
    (iii) जब मासूम बच्चों को भय के बिना रहना पड़े
    (iv) जब मासूम आपस में लड़ने लगें

    (ग) कवि के अनुसार बहुत गलत कब है?
    (i) जब ओस तलवार की नोक पर गिरे
    (ii) जब मासूम सहम जाएँ
    (iii) जब बचपन समाप्ति की कगार पर हो
    (iv) जब किलकारियों की गूँज खामोश हो जाए

    (घ) कुछ भी गतल नहीं है, यदि :
    (i) बचपन गोद में आने लगे
    (ii) बच्चों पर अत्याचार होने लगे
    (iii) बाल श्रम बढ़ जाए
    (iv) भ्रूण हत्या होने लगे

    (ङ) कवि के अनुसार अभी किसका वक्त है :
    (i) सोच-विचार का
    (ii) दुख मनाने का
    (iii) उत्सव मनाने का
    (iv) मासूमों का
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  • Question 4
    निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए :
    थोड़े से बच्चों के लिए
    एक बग़ीचा है
    उनके पाँव दूब पर पड़ रहे हैं
    असंख्य बच्चों के लिए
    कीचड़, धूल और गंदगी से पटी
    गलियाँ हैँ जिनमें वे
    अपना भविष्य बीन रहे हैं
    एक मेज़ है
    सिर्फ़ छह बच्चों के लिए
    और उनके सामने
    उतने ही अंडे और उतने ही सेब हैं
    एक कटोरदान है सौ बच्चों के बीच
    और हज़ारों बच्चे
    एक हाथ में रखी आधी रोटी को
    दूसरे से तोड़ रहे हैं
    ईश्वर होता तो इतनी देर में उसकी देह कोढ़ से गलने लगती
    सत्य होता तो वह अपनी न्यायाधीश की
    कुर्सी से उतरकर जलती सलाखें आँखों में खुपस लेता,
    सुंदर होता तो वह अपने चेहरे पर
    तेज़ाब पोत अंधे कुएँ में कूद गया होता लेकिन ..........
    यहाँ दृश्य में
    सिर्फ़ कुछ छपे हुए शब्द हैं
    चापलूसी की नाँद में
    लपलपाती जुबानें
    और मस्तिष्क में काले गणित का
    पैबंद है।

    (क) दूब पर पड़ने वाले पाँव किन बच्चों के हो सकते हैं?
    (i) जो अभी बहुत छोटे हैं
    (ii) जो समृद्ध परिवार से हैं
    (iii) जो शिक्षित परिवार से हैं
    (iv) जो गरीब परिवार से हैं

    (ख) 'वे अपना भविष्य बीन रहे हैं' का तात्पर्य है :
    (i) कूड़ा बीन कर गरीब बच्चे जीवन चलाते हैं
    (ii) वे कूड़े में रहते हैं
    (iii) असंख्य बच्चे सुख नहीं पाते
    (iv) गलियों में बच्चे अपना भविष्य बनाते हैं

    (ग) एक मेज़ है/ सिर्फ़ छह बच्चों के लिए/ और उनके सामने/ उतने ही अंडे और उतने ही सेब हैं/ एक कटोरदान है सौ बच्चों के बीच/ और हज़ारों बच्चे एक हाथ में रखी आधी रोटी को/ दूसरे से तोड़ रहे हैं
    उपर्युक्त पंक्तियों में कवि किस असमानता की बात कर रहा है?
    (i) धार्मिक असमानता
    (ii) सामाजिक असमानता
    (iii) आर्थिक असमानता
    (iv) शैक्षिक असमानता

    (घ) कवि किस बात से निराश हो गया है?
    (i) नैतिक मूल्य कहीं खो गए हैं
    (ii) असीम सत्ता को लोग पहचानते नहीं
    (iii) न्याय पाने के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ती है
    (iv) बच्चों की पोशाकों में भी बहुत अंतर है

    (ङ) कवि हमें किस वास्तविकता से परिचित करवाता है :
    (i) समाज में असमानताएँ हैं और ईश्वर को चिंता नहीं है
    (ii) बातें सिर्फ़ कागज़ी हैं, चापलूसी और जोड-तोड़ का धंधा फल-फूल रहा है
    (iii) यदि सत्य होता तो सच में न्यायाधीश अपना काम करते
    (iv) बहुत से बच्चे होटलों में काम करने को मजबूर हैं
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  • Question 5
    निर्देशानुसार उत्तर  दीजिए :
    (क) सर्वदयाल ने शीत से बचने के लिए हाथ जेब में डाला तो कागज का एक टुकड़ा निकल आया। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
    (ख) उसे दफ़्तर की नौकरी से घृणा थी। (वाक्य में भेद बताइए)
    (ग) उनको पूरा-पूरा विश्वास था कि ठाकुर साहब मेंबर बन जाएँगे। (सरल वाक्य में बदलिए) VIEW SOLUTION


  • Question 6
    निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तित कीजिए :
    (क) राष्ट्रपति द्वारा इस भवन का उद्घाटन किया गया। (कर्तृवाच्य में)
    (ख) हमसे इतना भार नहीं सहा जाता। (कर्तृवाच्य में)
    (ग) इतनी गर्मी में कैसे बैठ सकते हैं? (भाववाच्य में)
    (घ) तुलसीदास ने 'रामचरितमानस' की रचना की। (कर्मवाच्य में) VIEW SOLUTION


  • Question 7
    हम-तुम तो इतना भी नहीं जानते कि कुटुंब का पालन कैसे किया जाता है।- दी गई पंक्ति में रेखांकित पदों का पद-परिचय दीजिए। VIEW SOLUTION


  • Question 8
    काव्यांश पढ़कर उसमें निहित रस पहचानकर लिखिए :
    (क) एक पल, मेरी प्रिया के दृग – पलक,
    थे उठे – ऊपर, सहज नीचे गिरे।
    चपलता ने इस विकंपित पुलक से,
    दृढ़ किया मानो प्रणय – संबंध था।
    (ख) वीर रस का स्थायीभाव है?
    (ग) भय किस रस स्थायीभाव है?
    (घ) निम्नलिखित काव्यांश में कौन सा स्थायी भाव है?
    जसोदा हरि पालने झुलावै।
    हलरावै, दुलरावै, मल्हावै, जोई – सोई कछु गावै।
    VIEW SOLUTION


  • Question 9
    निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
    शहनाई और डुमराँव एक – दूसरे के लिए उपयोगी हैं। शहनाई बजाने के लिए रीड का प्रयोग होता है। रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को  फूँका जा​ता है। रीड, नरकट (एक प्रकार  की घास) से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यत: सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है। इतनी ही महत्ता है इस समय डुमराँव की जिसके कारण शहनाई जैसा वाद्य बजता है। फिर अमीरुद्दीन जो हम सबके प्रिय हैं, अपने उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ साहब हैं। उनका जन्म—स्थान भी डुमराँव ही है। इनके परदादा उस्ताद सलार हुसैन खाँ डुमराँव निवासी थे। बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद पैगंबरबख्श खाँ और मिट्ठन के छोटे साहबजादे हैं।
    (क) शहनाई और डुमराँव एक – दूसरे के पूरक हैं, कैसे?
    (ख) यहाँ रीड के बारे मे क्या – क्या जानकारियाँ मिलती हैं?
    (ग) अमीरुद्दीन  के माता – पिता कौन थे? VIEW SOLUTION


  • Question 10
    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए:
    (क) ‘मन्नू भंडारी की माँ त्याग और धैर्य की पराकाष्ठा थी- फिर भी लेखिका के लिए आदर्श न बन सकी।’ क्यों?
    (ख) मन्नू भंडारी की ऐसी कौन सी खुशी थी जो 15 अगस्त, 1947 की खुशी में समाकर रह गई?
    (ग) ‘स्त्रियाँ शैक्षिक दृष्टि से पुरुषों से कम नहीं हैं’ - इसके लिए महावीर प्रसाद द्विवेदी ने क्या उदाहरण दिए हैं? किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए।
    (घ) ‘महावीर प्रसाद द्विवेदी का निबंध उनकी खुली सोच और दूरदर्शिता का परिचायक है’, कैसे?
    (ङ) ‘संस्कृति’ पाठ में लेखक ने आग और सुई-धागे के अविष्कारों से क्या स्पष्ट किया है?
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  • Question 11
    निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
    छाया मत छूना
    मन, होगा दुख दूना।
    जीवन में हैं, सुरंग सुधियाँ सुहावनी
    छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी,
    तन-सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,
    कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी। 
    भूली-सी एक छुअन बनता हर जीवित क्षण-
    छाया मत छूना
    मन, होगा दुख दूना।
    (क) ‘छाया मत छूना’- कवि ने ऐसा क्यों कहा?
    (ख) ‘छवियों की चित्र-गंध फैली मनभावनी’ का क्या तात्पर्य है?
    (ग) ‘कुंतल के फूलों की याद बनी चाँदनी’ में कवि को कौन सी यादें कचोटती हैं?
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  • Question 12
    निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए:
    (क) ‘गाधिसूनु’ किसे कहा गया है? वे मुनि की किस बात पर मन ही मन मुस्करा रहे थे?
    (ख) स्वयंवर स्थल पर शिवधनुष तोड़ने वाले को परशुराम ने किस प्रकार धमकाया?
    (ग) ‘बेटी, अभी सयानी नहीं थी’- में माँ की चिंता क्या है? ‘कन्यादान’ कविता के आधार पर लिखिए।
    (घ) ‘कन्यादान’ कविता में बेटी को ‘अंतिम पूँजी’ क्यों कहा गया है?
    (ङ) संगतकार में त्याग की उत्कट भावना भरी है- पुष्टि कीजिए।
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  • Question 13
    ‘कितना कम लेकर ये समाज को कितना अधिक वापस लौटा देती हैं।’ ‘साना-साना हाथ जोडि़’ पाठ के इस कथन में निहित जीवनमूल्यों को स्पष्ट कीजिए और बताइए कि देश की प्रगति में नागरिक की क्या भूमिका है?
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  • Question 14
    किसी एक विषय पर दिए गए संकेत—बिंदुओं के आधार पर लगभग 250 शब्दोें में निबंध लिखिए:
    (क) महानगरीय जीवन : अभिशाप या वरदान
    • महानगरीय जीवन
    • अभिशाप क्यों
    • वरदान
    (ख) यदि मैं शिक्षा मंत्री होती/होता
    • वर्तमान शिक्षा नीति
    • बदलाव की आवश्यकता
    • नई नीति        
    (ग) प्राकृतिक आपदाएँ
    • कौन – कौन सी
    • बचाव
    • आपदा प्रबंधन
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  • Question 15
    चेत्रई निवासी मित्र क्षीधरन को ग्रीष्मावकाश में रानीखेत-नैनीताल की यात्रा के लिए आमंत्रित कीजिए।

    अथवा

    निकटस्थ डाकपाल को पत्र लिखकर सूचित कीजिए कि पहली जून से 30 जून त​क आपकी डाक डाकघर में ही सँभाली जाए, क्योकि उन दिनों आप घर पर नहीं होगें | VIEW SOLUTION


  • Question 16
    निम्नलिखित गद्यांश का शीर्षक लिखकर एक-तिहाई शब्दों में सार लिखिए:
    वर्तमान समय में प्रगतिशील भारत के सामने जो समस्याएँ सुरसा के मुँह की तरह मुँह खोले खड़ी हैं, उनमें बढ़ती जनसंख्या एक विकराल समस्या है। इसके साथ अन्य समस्याएँ भी हैं; आतंकवाद, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी आदि। इन सभी समस्याओं में जनसंख्या की समस्या काफी जटिल है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के अनेक कारण हैं, जैसे-अशिक्षा और अंधविश्वास। अधिकतर लोग बच्चों को भगवान की देन मानकर परिवार नियोजन को अपनाना नहीं चाहते। इस संबंध में सरकार द्वारा अनेक प्रयास किए गए हैं। जनसंचार माध्यमों द्वारा परिवार नियोजन के संबंध में व्यापक प्रचार किया गया है और किया जा रहा है। अनेक संस्थाएँ भी इस दिशा में कार्य कर रही हैं, फिर भी आशानुरूप् सफलता नहीं मिल पाई है। भारत की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का पाँचवाँ भाग है। यहाँ हर वर्ष एक नया आस्ट्रेलिया बन जाता है। अतः यहाँ कृषि के लिए भूमि का अभाव हो गया है। आवास की बढ़ती हुई समस्या के कारण यहाँ हरे-भरे जंगलों के स्थान पर कंकरीट के जंगल बन रहे हैं। अमूल्य वन संपदा का विनाश, दुर्लभ वनस्पतियों का अभाव, वर्षा पर घातक प्रभाव पड़ रहा है। बेकारी बढ़ रही है। लूट, हत्या, अपहरण जैसी वारदातों को बढ़ावा मिल रहा है। जनसंख्या की समस्या का समाधान कानून द्वारा नहीं जनजागरण तथा शिक्षा द्वारा ही संभव है।
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