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Board Paper of Class 10 2005 Hindi (SET 1) - Solutions

(i) इस प्रश्न-पत्र के चार खण्ड हैं क, ख, ग और घ।
(ii) चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
(iii) यथासंभव प्रत्येक खण्ड के उत्तर क्रमश: दीजिए।


  • Question 1

    निम्नलिखित अपठित गद्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

    दूर-दूर के वणिक चारों राहों से अपना सौदा लिए आते-जाते हैं। आस-पास के पेड़ों की सघन छाया में उनके ऊँट, उनकी गाड़ियाँ खड़ी रहती हैं और उस सूखे आम से जब-तब बस कोई पागल कभी लिपट जाता है। कोई साँड कभी उसे सींग मार देता है, कोई सियार उसकी सूखी उखड़ी जड़ों में बैठ रात में रो उठता है।

    पर जैसा जानकारों ने बताया, कभी वह पेड़ हरा था, उसकी जड़ें धरती की नरम-नरम मिट्टी में दबी थीं, और उसकी छतनार डालें आकाश में ऐसी फैली हुई थीं जैसे विशाल पक्षी के डैने। और उन डालियों के कोटरों में अनगिनत घोंसले थे। पनाह के नीड़, बसेरे। दूर बियाबाँ से लौटकर पक्षी उनमें बसेरा करते, रात की भीगी गहराई में खोकर सुबह दिशाओं की ओर उड़ जाते।

    और मैं जो उस पेड़ के ठूँठपन पर कुछ दुखी हो चुप हो जाता तो वह जानकार कहता, उसने वह कथा कितनी ही बार कही, आँखों देखी बात है, इस पेड़ की सघन छाया में कितने बटोहियों ने गए प्राण पाए हैं, कितने ही सूखे हरे हुए हैं। सुनो उसकी कथा, सारी बताता हूँ और उसने बताया, जलती दुपहरी में मरीचिका की नाचती आग के बीच यह पेड़ हरा-भरा झूमा पत्तों के विस्तृत ताज को सिर से उठाए। आँधी और तूफ़ान में उसकी डालें एक-दूसरे से टकरातीं, टहनियाँ एक-दूसरे में गुँथ जातीं और जब तपी धरती बादलों की झरती झींसी रोम-रोम से पीती और रोम-रोम सजीव कर उनमें से लता प्रतानों के अंकुर फोड़ देती तब पेड़ जैसे मुस्कराता और बढ़ती लताओं की डाली रुपी भुजाओं से जैसे उठाकर भेंट लेता। उस विशाल तरु में तब बड़ा रस था। उसकी टहनी-टहनी, डाली-डाली, पोर-पोर में रस था और उसे छलका-छलका वह लता वल्लरियों को निहाल कर देता। अनंत लताएँ, अनंत वल्लरियाँ पावस में उसके अंग-अंग से, उसकी फूटती संधियों से लिपटी रहतीं और देखने वाले बस उसके सुख को देखते रह जाते।

    और मेरा वह जानकार बुज़ुर्ग एक लंबी साँस लेकर थका सा कह चला कि तुम क्या जानो, जिसने केवल पावस और वसंत ही देखें हैं, निदाघ और पतझड़ न देखे, केवल अंकुर और कोपलें ही फूटती देखी हैं, सूखती साँस न देखी, पीले झड़ते पत्ते न देखे? फिर एक दिन, एक साल कुछ ऐसा हुआ कि जैसे सब कुछ बदल गया। जहाँ वसंत के आते ही पत्रों के से कोमल पत्ते उस वृक्ष की टहनियों से हवा में डोलने लगते थे, वहाँ उस साल फिर वे पत्ते न डोले, वे टहनियाँ सूख चलीं। दूर दिशाओं से आकर उस पेड़ की नीड़ों में विश्राम करने वाले पक्षी उसकी छतनार डालों से उड़ गए। जहाँ अनंत-अनंत कोयलें कूका करती थीं। बौराई फुनगियों पर भौंरों की काली पंक्तियाँ मँडराया करती थीं, सहसा उस पेड़ का रस सूख चला।

    और जैसे उसे बसेरा लेने वाले पक्षी छोड़ चले, जैसे कूकती कोयलें, टेरते पपीहे, मँडराते भौंरे उसके अनजाने हो गए। वैसे ही लता वल्लरियाँ उसके स्कंध देश से, उसकी फैली मज़बूत डालियों से उसकी मदमाती झूमती टहनियों से धीरे-धीरे उतर गईं, कुछ सूख गईं, मर गईं। उस लता-संपदा के बीच फिर भी एक मधुर मदिर पुष्पवती पराग भरी वल्लरी उससे लिपटी रही, और ऐसी कि लगता कि प्रकृति के परिवर्तन उस पर असर नहीं करते। वासंती जैसे सारी त्रुटियों में रसभरी वासंती बनी रहती। सहकार वृक्ष से लिपटी वल्लरियों की उपमा कवियों ने अनेकानेक दी हैं। पर वह तो साहित्य और कल्पना की बात थी, उसे कभी चेता न था, पर चेता मैंने उसे अब, जब उस एकांत वल्लरी की उस प्रकांड तरु से लिपटे पाया। लगा जैसे काल ठमक गया है, जैसे सदियाँ एक के बाद एक ज़माने की राह उतरती जाएँगी, पर वल्लरी पेड़ से अलग न होगी, दोनों के संबंध में व्यवधान न होगा। और उन्हें-दूसरे से लिपटे जो कोई देखता उनके चिर विलास का, चिर सुख का, कभी अंत ना होने वाले संबंध का आशीर्वाद देता।

    पर विधाता से किसी का सुख कब देखा गया? वल्लरी वृक्ष से अलग हो गई, वृक्ष सूख गया, तुम्हारी सामने आकाश का परिकर बाँधे वह खड़ा है।

    पर वल्लरी? वल्लरी सूखी नहीं, मात्र उस वृक्ष से हट गई। उस दूसरे वृक्ष को देखते हो न? उस तनवान, प्राणवान, पुलकित रसाल को, जिस पर आज भी कोयल कूकती है, पपीहे टेरते हैं, भौंरे मँडराते हैं। उसी तरु से वह वल्लरी अब जा लिपटी है।

    (i) आम के सूखे वृक्ष की स्थिति का वर्णन कीजिए? (2)

    (ii) सूखने से पूर्व उस वृक्ष की कैसी स्थिति थी? (2)

    (iii) वृक्ष के सूखने पर वल्लरियों ने क्या किया? (2)

    (iv) लेखक ने किस संदर्भ में कहा है कि विधाता से किसी का सुख देखा नहीं जाता? (2)

    (v) उपरोक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।  (2)

    (vi)उपरोक्त गद्यांश से कोई दो विशेषण छाँटकर लिखिए।  (2)


     

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  • Question 2

    निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए – 
    हे ग्राम देवता नमस्कार!
    सोने चाँदी से नहीं किंतु तुमने मिट्टी से किया प्यार
    हे ग्राम-देवता नमस्कार!
    जन-कोलाहल से दूर कहीं एकाकी सिमटा-सा
    निवास
    रवि-शशि का उतना नहीं कि जितना प्राणों का होता
    प्रकाश।
    श्रम-वैभव के बल पर करते हो जड़ में चेतन का
    विकास।
    दानों-दानों से फूट रहे सौ-सौ दानों के हरे हास।
    यह है न पसीने की धारा, यह गंगा की है धवल धार।
    हे ग्राम-देवता नमस्कार

    (i) इस कविता का उचित शीर्षक बताइए। (1)

    (ii) ग्राम देवता कहाँ रहता है? (1)

    (iii) ग्राम देवता किससे प्यार करता है? (2)

    (iv) ग्राम-देवता जड़ में चेतन का विकास कैसे करता है? (2)

    (v) 'यह है न पसीने की धारा, यह गंगा की है धवल धार' का आशय स्पष्ट कीजिए। (2)

    अथवा

    मैं तो वही खिलौना लूँगा मचल गया शिशु राजकुमार।
    वह बालक पुचकार रहा था पथ में जिसको बारंबार।
    वह तो मिट्टी का ही होगा, खेलो तुम तो सोने से।
    दौड़ पड़े सब दास-दासियाँ राजपुत्र के रोने से।
    मिट्टी का हो या सोने का, इनमें वैसा एक नहीं।
    खेल रहा था उछल-उछलकर वह तो उसी खिलौने से।
    राजहठी ने फेंक दिए सब, अपने रजत-हेम-उपहार।
    लूँगा वही, वही लूँगा मैं, मचल गया वह राजकुमार।

    (i) इस कविता का उचित शीर्षक लिखिए? (1)

    (ii) शिशु राजकुमार क्यों हठ कर रहा था? (1)

    (iii) दास दासियों ने राजकुमार को क्या कह कर समझाया? (2)

    (iv) राजकुमार के रोने पर क्या हुआ? (2)

    (v) राजकुमार ने हठ में आ कर क्या किया? (2)

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  • Question 3

    निम्नलिखित में से एक विषय पर लगभग 300 शब्दों में निबन्ध लिखिए –

    (क) वर्तमान युग में भ्रष्टाचार निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। प्रत्येक व्यक्ति धन की लालसा से ग्रस्त है। इसके फलस्वरुप भ्रष्टाचार में वृद्धि हो रही है। व्यापारी वस्तुओं में मिलावट करते हैं। पारिवारिक सम्बन्धों में अनैतिकता में वृद्धि हो रही है। वेश्याओं की बढ़ती संख्या समाज को खोखला कर रही है।

    (ख) आधुनिक युग में खेल मनोरंजन का एक प्रमुख साधन है। खेल और स्वास्थय का गहरा सम्बन्ध है। अच्छे खिलाड़ियों को विज्ञापनों से करोड़ों रुपए प्रतिवर्ष प्राप्त होते हैं। आजकल क्रिकेट जैसे खेलों पर अरबों रुपए का सट्टा लगाया जाता है। यदि खेल न होते तो हानि के साथ अनेक लाभ भी होते।

    (ग) मैं पिछले अनेक वर्षों से कारावास की यातना भोग रहा हूँ। मैं पहले एक निर्दोष बालक था परन्तु एक विशेष घटना के कारण मुझे जेल जाना पड़ा। जेल की स्थिति अत्यन्त शोचनीय है। मैं जेल में परिश्रम और पश्चाताप करते हुए अपना समय व्यतीत कर रहा हूँ।

    (घ) आज महानगर में बढ़ता प्रदूषण आपके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है जिसके कारण आपको अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उनका उल्लेख करते हुए बताइए कि बढ़ते हुए प्रदूषण को रोकने में प्रत्येक नागरिक की क्या भूमिका हो सकती है।

    (ङ) जीवन में संगति का अत्यधिक महत्त्व है। संगति का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जीवन में आप यदि सफलता पाना चाहते हैं तो आपको श्रेष्ठ व्यक्तियों की संगति करनी चाहिए।

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  • Question 4

    स्वास्थ्य में अपेक्षित सुधार लाने के लिए नित्य व्यायाम करने की प्रेरणा देते हुए अपने छोटे भाई को पत्र लिखिए। 

    अथवा

    आपके नगर में अनधिकृत मकान बनाए जा रहे हैं, इनकी रोकथाम के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिखिए।

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  • Question 5

    निम्नलिखित वाक्यों में प्रयुक्त क्रियाओं के भेद लिखिए –

    (i) सानिया मिर्ज़ा टेनिस खेलती है।

    (ii) उसने खाना खिलवाया।

    (iii) मनोहर जा रहा है।

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  • Question 6

    निम्नलिखित वाक्यों में से अवयव छाँटिए तथा उनका भेद भी लिखिए –

    (i) वह ज़ोर-ज़ोर से रो रहा था।

    (ii) तुमने स्नान किया या नहीं।

    (iii) चार हाथी जुलूस के आगे चल रहे थे।

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  • Question 7

    निम्नलिखित वाक्यों को मिलाकर सरल, मिश्र तथा संयुक्त वाक्य लिखिए –

    (i) मोहन ने हरी मिर्च खा ली।

    (ii) मोहन को हिचकियाँ आने लगीं।

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  • Question 8

    निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए –

    (i) मैं कविता पढ़ सकता हूँ। (कर्मवाच्य में)

    (ii) मीरा द्वारा कल पत्र लिखा जाएगा। (कर्तृवाच्य में)

    (iii) बच्चे शांत नहीं रह सकते। (भाववाच्य में)

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  • Question 9

    (i) निम्नलिखित समासों का विग्रह करते हुए उनका नाम लिखिए – (2)

    रातोंरात, चक्रपाणि

    (ii) निम्नलिखित शब्दों के एकाधिक अर्थ लिखिए – (1)

    जीवन, काल

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  • Question 10

    निम्नलिखित में से किसी एक काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए – 

    (क) हरि हैं राजनीति पढ़ि आए।
    समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए।
    इक अति चतुर हुते पहिलैं ही, अब गुरु-ग्रंथ पढाए।
    बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए।
    ऊधौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धाए।
    अब अपनै मन फेर पाइ हैं, चलत जु हुते चुराए।
    ते क्यौं अनीति करैं आपुन, जे और अनीति छुड़ाए।
    राज धरम तौ यहै 'सूर', जो प्रजा न जाहिं सताए।

    (i) श्रीकृष्ण द्वारा योग संदेश भेजने पर गोपियाँ क्या कहती हैं? (2)

    (ii) गोपियाँ पुराने युग के लोगों के बारे में क्या कहती हैं? (2)

    (iii) गोपियाँ 'राजधर्म' के विषय में उद्धव से क्या कहती हैं? (2)

    अथवा

    (ख) दुविधा-हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं,
    देह सुखी हो पर मन के दुख का अंत नहीं।
    दुख है न चाँद खिला शरद-रात आने पर,
    क्या हुआ जो खिला फूल रस-बसंत जाने पर?
    जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण,
    छाया मत छूना
    मन, होगा दुख दूना।

    (i) देह सुखी होने पर भी मन के दु:ख का अंत क्यों नहीं होता? (2)

    (ii) 'शरद रात' किसका प्रतीक है? (2)

    (iii) 'जो न मिला ....... भविष्य वरण' द्वारा कवि मानव को क्या प्रेरणा देता है? (2)

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  • Question 11

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन का उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)

    (i) परशुराम ने सभा के मध्य अपने विषय में क्या कहा?

    (ii) कवि देव ने अपनी कविता में चाँदनी रात की सुंदरता को किन-किन रुपों में देखा है?

    (iii) मृगतृष्णा किसे कहते हैं? 'छाया मत छूना' कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है?

    (iv) संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं?

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  • Question 12

    निम्नलिखित काव्यांशों में से किसी एक को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

    (क) कितना प्रामाणिक था उसका दुख
    लड़की को दान में देते वक्त
    जैसे वही उसकी अंतिम पूँजी हो
    लड़की अभी सयानी नहीं थी
    अभी इतनी भोली सरल थी
    कि उसे सुख का आभास तो होता था
    लेकिन दुख बाँचना नहीं आता था
    पाठिका थी वह धुँधले प्रकाश की
    कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की

    (i) इन पंक्तियों में कौन-से छन्द का प्रयोग किया गया है? (1)

    (ii) इन पंक्तियों से कोई दो देशज शब्द छाँटकर लिखिए। (1)

    (iii) माँ के दुख को प्रामाणिक क्यों कहा गया है? (1)

    (iv) बालिका की सरलता को व्यक्त करने वाली काव्य पंक्तियाँ लिखिए। (1)

    (v) इन पंक्तियों में से कोई दो तत्सम शब्द छाँटकर लिखिए। (1)

    अथवा

    (ख) मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती
    वह आवाज़ सुंदर कमज़ोर काँपती हुई थी
    वह मुख्य गायक का छोटा भाई है
    या उसका शिष्य
    या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई
    रिश्तेदार
    मुख्य गायक की गरज में
    वह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीन काल से।

    (i) प्रथम पंक्ति में कौन-से अलंकार का प्रयोग किया गया है? (1)

    (ii) "वह आवाज़ सुंदर कमज़ोर काँपती हुई थी" पंक्ति में किस अलंकार का प्रयोग किया गया है? (1)

    (iii) इन पंक्तियों में किस छन्द का प्रयोग किया गया है? (1)

    (iv) इन पंक्तियों में से कोई दो तत्सम शब्द छाँटिए। (1)

    (v) कमज़ोर काँपती आवाज़ में कौन गा रहा है? (1)

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  • Question 13

    निम्नलिखित गद्यांशों में से किसी एक के नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

    (क) आग के अविष्कार में कदाचित पेट की ज्वाला की प्रेरणा एक कारण रही। सुई-धागे के आविष्कार में शायद शीतोष्ण से बचने तथा शरीर को सजाने की प्रवृत्ति का विशेष हाथ रहा। अब कल्पना कीजिए उस आदमी की जिसका पेट भरा है, जिसका तन ढँका है, लेकिन जब वह खुले आकाश के नीचे सोया हुआ रात के जगमगाते तारों को देखता है, तो उसको केवल इसलिए नींद नहीं आती क्योंकि वह यह जानने के लिए परेशान है कि आखिर यह मोती भरा थाल क्या है? पेट भरने और तन ढँकने की इच्छा मनुष्य की संस्कृति की जननी नहीं है। पेट भरा और तन ढँका होने पर भी ऐसा मानव जो वास्तव में संस्कृत है, निठल्ला नहीं बैठ सकता। हमारी सभ्यता का एक बड़ा अंश हमें ऐसे संस्कृत आदमियों से ही मिला है, जिनकी चेतना पर स्थूल भौतिक कारणों का प्रभाव प्रधान रहा है, किंतु उसका कुछ हिस्सा हमें मनीषियों से भी मिला है जिन्होंने तथ्य-विशेष को किसी भौतिक प्रेरणा के वशीभूत होकर नहीं, बल्कि उनके अपने अंदर की सहज संस्कृति के ही कारण प्राप्त किया है। रात के तारों को देखकर न सो सकने वाला मनीषी हमारे आज के ज्ञान का ऐसा ही प्रथम पुरस्कर्ता था।

    भौतिक प्रेरणा, ज्ञानेप्सा –क्या ये दो ही मानव संस्कृति के माता-पिता हैं? दूसरे के मुँह में कौर डालने के लिए जो अपने मुँह का कौर छोड़ देता है, उसको यह बात क्यों और कैसे सूझती है? रोगी बच्चे को सारी रात गोद में लिए जो माता बैठी रहती है, वह आखिर ऐसा क्यों करती है? सुनते हैं कि रुस का भाग्यविधाता लेनिन अपनी डैस्क में रखे हुए डबल रोटी के सूखे टुकड़े स्वयं न खाकर दूसरों को खिला दिया करता था। वह आखिर ऐसा क्यों करता था? संसार के मज़दूरों को सुखी देखने का स्वप्न देखते हुए कार्ल मार्क्स ने अपना सारा जीवन दुख में बिता दिया। और इन सबसे बढ़कर आज नहीं, आज से ढाई हज़ार वर्ष पूर्व सिद्धार्थ ने अपना घर केवल इसलिए त्याग दिया कि किसी तरह तृष्णा के वशीभूत लड़ती-कटती मानवता सुख से रह सके।

    (i) क्या पेट भरने और तन ढकने की इच्छा को मानव संस्कृति की जननी कहा जा सकता है? (2)

    (ii) उपरोक्त अनुच्छेद में लेनिन की किस विशेषता का वर्णन किया गया है? (2)

    (iii) सिद्धार्थ ने घर क्यों त्याग दिया था? (2)

    अथवा

    (ख) पाँच भाई-बहनों में सबसे छोटी मैं। सबसे बड़ी बहिन की शादी के समय मैं शायद सात साल की थी और उसकी एक धुँधली-सी याद ही मेरे मन में है, लेकिन अपने से दो साल बड़ी बहिन सुशीला और मैंने घर के बड़े से आँगन में बचपन के सारे खेल खेले-सतोलिया, लँगड़ी-टाँग, पकड़म-पकड़ाई, काली-टीलो... तो कमरों में गुड्डे-गुडियों के ब्याह भी रचाए, पास-पड़ोस की सहेलियों के साथ। यों खेलने को हमने भाइयों के साथ गिल्ली-डंडा भी खेला और पतंग उड़ाने, काँच पीस कर मांजा सूतने का काम भी किया, लेकिन उनकी गतिविधियों का दायरा घर के बाहर ही अधिक रहता था और हमारी सीमा थी घर। हाँ, इतना ज़रुर था कि उस ज़माने में घर की दीवारें घर तक ही समाप्त नहीं हो जाती थीं, बल्कि पूरे मोहल्ले तक फैली रहती थीं इसलिए मोहल्ले के किसी भी घर में जाने पर कोई पाबंदी नहीं थी, बल्कि कुछ घर तो परिवार का हिस्सा ही थे। आज तो मुझे बड़ी शिद्दत के साथ यह महसूस होता है कि अपनी जिंदगी खुद जीने के इस आधुनिक दबाव ने महानगरों के फ़्लैट में रहने वालों को हमारे इस परंपरागत 'पड़ोस-कल्चर' से विच्छिन्न करके हमें कितना संकुचित, असहाय और असुरक्षित बना दिया है। मेरी कम-से-कम एक दर्जन आरंभिक कहानियों के पात्र इसी मोहल्ले के हैं जहाँ मैंने अपनी किशोरावस्था गुज़ार अपनी युवावस्था का आरंभ किया था। एक-दो को छोड़कर उनमें से कोई भी पात्र मेरे परिवार का नहीं है। बस इनको देखते-सुनते, इनके बीच ही मैं बड़ी हुई थी लेकिन इनकी छाप मेरे मन पर कितनी गहरी थी, इस बात का अहसास तो मुझे कहानियाँ लिखते समय हुआ। इतने वर्षों के अंतराल ने भी उनकी भाव-भंगिमा, भाषा, किसी को भी धुँधला नहीं किया था और बिना किसी विशेष प्रयास के बड़े सहज भाव से वे उतरते चले गए थे। उसी समय के दा साहब अपने व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ पाते ही 'महाभोज' में इतने वर्षों बाद कैसे एकाएक जीवित हो उठे, यह मेरे अपने लिए भी आश्चर्य का विषय था.... एक सुखद आश्चर्य का।

    (i) लेखिका को अपने बचपन की कौन सी बातें याद आती हैं? (2)

    (ii) आज वर्तमान युग में जीवन संकुचित, असहाय और असुरक्षित क्यों हो गया है? (2)

    (iii) लेखिका के लिए सुखद आश्चर्य का विषय क्या था? (2)


     

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  • Question 14

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए – (3 + 3 + 3)

    (i) फ़ादर बुल्के भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग हैं –किस आधार पर ऐसा कहा गया है?

    (ii) पुराने समय में स्त्रियों द्वारा प्राकृत भाषा में बोलना क्या उनके अपढ़ होने का सबूत है –पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

    (iii) सुषिर वाद्यों से क्या अभिप्राय है? शहनाई को 'सुषिर वाद्यों' में शाह की उपाधि क्यों दी गई होगी?

    (iv) न्यूटन को संस्कृत मानव कहने के पीछे कौन-से तर्क दिए गए हैं। न्यूटन द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों एवं ज्ञान की कई दूसरी बारीकियों को जानने वाले लोग भी न्यूटन की तरह संस्कृत नहीं कहला सकते, क्यों?

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  • Question 15

    (i) गरमी की उमस भरी संध्याएँ भी भगत के स्वरों को निढाल नहीं कर पाती थीं। इस कथन के आलोक में भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।  (3)

    (ii) मंदिर में शहनाई बजाने से प्राप्त धन को बिस्मिल्ला खाँ कैसे खर्च करते थे? (2)

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  • Question 16

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किसी एक प्रश्न का उत्तर दीजिए –

    (i) झिलमिलाते सितारों की रोशनी में नहाया गंतोक लेखिका को किस प्रकार सम्मोहित कर रहा था?

    (ii) 'माता का आँचल' रचना में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं?

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  • Question 17

    निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर दीजिए – (2 + 2 + 2)

    (i) साना साना हाथ जोड़ि .... रचना में कभी श्वेत तो कभी रंगीन पताकाओं का फहराना किन अलग-अलग अवसरों की ओर संकेत करता है?

    (ii) दुलारी का हृदय किस कारण कातर हो उठा तथा उसकी आँखें क्यों छलछला आईं?

    (iii) अख़बारों ने जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर ज़िन्दा नाक लगने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?

    (iv) खेदुम किस क्षेत्र को कहते हैं तथा वहाँ स्वच्छता का विशेष ध्यान क्यों रखा जाता है?

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