Prachin aur navin prakriti mein antar.

मित्र !

आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है : 

प्रकृति जीवन का संचार करती है । प्रकृति से हमें साँस लेने के लिए हवा, पीने के लिए पानी और जीने के लिए भोजन मिलता है । प्रकृति समय-समय पर अपना स्वरुप बदलती रहती है । प्राचीन काल में हरियाली से परिपूर्ण थी हमारी प्रकृति । हमारी प्रकृति ने हमारे लिए हमेशा से आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए हैं । मनुष्य प्राचीन काल में पूरी तरह से प्रकृति पर निर्भर था । प्रकृति से भोजन, पानी और स्वच्छ हवा प्राप्त करता था । प्रकृति निश्चल भाव से सब उपलब्ध कराती थी । इस जमीन पर रहने वाले सभी पेड़-पौधे, जीव-जंतु, पशु-पक्षी और मानव पेट भरने के लिए प्रकृति पर निर्भर हैं । नवीन काल में मनुष्य अपने लोभ के कारण इस प्रकृति का संतुलन बिगाड़ रहा है । आज हरियाली देखने को नहीं मिलती है । हवा साफ़ नहीं है, उसमें ​प्रदूषण है । अब प्रकृति से मनुष्य खिलवाड़ करेगा तो उसका परिणाम मनुष्य के साथ सभी जीवों को भोगना पड़ेगा । इंसानों को चाहिए कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ बंद करे । आज की प्रकृति का स्वरुप बदल कर प्राचीन वाला करे ताकि हमें फिर से शुद्ध हवा, भोजन और पानी मिल सके। 

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