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उत्तर :- 

पर्वत प्रदेश में पावस कविता के सुमित्रानंदन पंत हैं । इस कविता में कवि ने पर्वत प्रदेश में वर्षा ऋतु के समय का वर्णन किया है । इस कविता को पढ़ कर ऐसा लगता है कि हम भी उसी क्षण में जी रहे हैं । विभिन्न बिंबों के आधार पर पंत ने इस कविता में रोमांच और सजीवता भर दिया है । इस कविता में वातावरण का वर्णन करने के लिए अनेक उपमानों का प्रयोग किया गया है , जिस कारण से यह कविता और भी मधुर बन जाती है । कविता में मानवीकरण अलंकार का प्रयोग भी देखने को मिलता है । कवि बता रहा है कि किस प्रकार से पर्वतीय क्षेत्र में वर्षा ऋतु में हर पल वातावरण परिवर्तित होता है । कवि ने पर्वत पर उगे हुए वृक्षों को हमारी महत्वाकांक्षा का प्रतीक बताया है ।  


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