Jaisi kerni waisi bharni pe laghu katha lekan
उत्तर :-
लघुकथा - जैसी करनी वैसी भरनी
बात तब की है जब मैं नौवीं कक्षा में पढ़ता था । मैं एक औसत छात्र था । मेरी कक्षा में एक और लड़का था , जो पूरे स्कूल में अव्वल आता था । सभी उसकी तारीफ करते रहते थे । उसके प्रति मेरे मन में ईर्ष्या की भावना रहती थी । मैं ऐसे मौके की तलाश में रहता था , जब मैं उसे नीचा दिखा सकूँ ।
बहुत जल्द ही वो मौका मेरे सामने आ गया । हमारे स्कूल में एक परीक्षा का आयोजन हुआ , इसमें उत्तीर्ण होने वालों को सम्मानित किया जाता और आगे की पढ़ाई के लिए छात्रवृति मिलने वाली थी । पहली परीक्षा के समय मेरी चालाकी से उसके पास से नकल करने का कुछ सामान हमारे शिक्षक को मिल गया और उसे परीक्षा से बर्खास्त कर दिया गया । वहाँ पर तो मैं उत्तीर्ण हो गया , लेकिन बहुत जल्द ही मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ । जब दूसरे भाग की परीक्षा में मैं उत्तीर्ण नहीं हो पाया और मुझे उससे बाहर कर दिया गया । तब मुझे ये समझ में आ गया कि हम दूसरों के साथ जैसा करते हैं , हमारे साथ भी वैसा ही होता है ।
इस आधार पर आप अपना उत्तर लिख सकते हैं ।
लघुकथा - जैसी करनी वैसी भरनी
बात तब की है जब मैं नौवीं कक्षा में पढ़ता था । मैं एक औसत छात्र था । मेरी कक्षा में एक और लड़का था , जो पूरे स्कूल में अव्वल आता था । सभी उसकी तारीफ करते रहते थे । उसके प्रति मेरे मन में ईर्ष्या की भावना रहती थी । मैं ऐसे मौके की तलाश में रहता था , जब मैं उसे नीचा दिखा सकूँ ।
बहुत जल्द ही वो मौका मेरे सामने आ गया । हमारे स्कूल में एक परीक्षा का आयोजन हुआ , इसमें उत्तीर्ण होने वालों को सम्मानित किया जाता और आगे की पढ़ाई के लिए छात्रवृति मिलने वाली थी । पहली परीक्षा के समय मेरी चालाकी से उसके पास से नकल करने का कुछ सामान हमारे शिक्षक को मिल गया और उसे परीक्षा से बर्खास्त कर दिया गया । वहाँ पर तो मैं उत्तीर्ण हो गया , लेकिन बहुत जल्द ही मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ । जब दूसरे भाग की परीक्षा में मैं उत्तीर्ण नहीं हो पाया और मुझे उससे बाहर कर दिया गया । तब मुझे ये समझ में आ गया कि हम दूसरों के साथ जैसा करते हैं , हमारे साथ भी वैसा ही होता है ।
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