क्रोध जीवन में हानिकारक है और प्रेम लाभकारी, इसी को आधार बनाते हुए दो मित्रों के बीच संवाद अपने शब्दों में लिखिए।
मित्र!
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
सोना- गुस्से में कहाँ जा रही हो स्मिता?
स्मिता- उस सुमन को सबक सिखाने जा रही हूँ। मेरे बारे में हमेशा कुछ न कुछ कहती रहती है।
सोना- रूको! पहले अपना गुस्सा शांत होने दो। इस तरह तो तुम बात को बिगाड़ दोगी। गुस्से से समस्या हल होने की बजाए खराब होती है। प्रेम से उसके पास जाओ और बात करो। दोनों के मध्य जो यह द्वेष की दीवार आई है, उसे समाप्त करो। प्रेम सारे गिले-शिकवे दूर कर देता है।
स्मिता - ठीक बोलती हो। तुम्हारी कही बात पर चलकर देखती हूँ।
आपके प्रश्न का उत्तर इस प्रकार है।-
सोना- गुस्से में कहाँ जा रही हो स्मिता?
स्मिता- उस सुमन को सबक सिखाने जा रही हूँ। मेरे बारे में हमेशा कुछ न कुछ कहती रहती है।
सोना- रूको! पहले अपना गुस्सा शांत होने दो। इस तरह तो तुम बात को बिगाड़ दोगी। गुस्से से समस्या हल होने की बजाए खराब होती है। प्रेम से उसके पास जाओ और बात करो। दोनों के मध्य जो यह द्वेष की दीवार आई है, उसे समाप्त करो। प्रेम सारे गिले-शिकवे दूर कर देता है।
स्मिता - ठीक बोलती हो। तुम्हारी कही बात पर चलकर देखती हूँ।