NCERT Solutions for Class 11 Humanities Hindi Chapter 6 कृष्णनाथ are provided here with simple step-by-step explanations. These solutions for कृष्णनाथ are extremely popular among class 11 Humanities students for Hindi कृष्णनाथ Solutions come handy for quickly completing your homework and preparing for exams. All questions and answers from the NCERT Book of class 11 Humanities Hindi Chapter 6 are provided here for you for free. You will also love the ad-free experience on Meritnation’s NCERT Solutions. All NCERT Solutions for class 11 Humanities Hindi are prepared by experts and are 100% accurate.

Page No 77:

Question 1:

इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता। क्यों?

Answer:

स्पीति समृद्र तल से 12,986 है। इस कारण से यह सबसे अलग-थलग पड़ा है। यहाँ पर पहुँचना बहुत ही कठिन है। यहाँ की भौगोलिक परिस्थितियाँ ही ऐसी है कि यह सबसे कटा रहा है। हमारे इतिहास के बारे में उसी के बारे में जानकारी मिलती है, जहाँ पर आना-जाना संभव हो। जहाँ से जानकारियाँ सरलता से मिल सके। स्पीति के साथ ऐसा नहीं है। यही कारण है कि इतिहास में स्पीति का वर्णन नहीं मिलता है।

Page No 77:

Question 2:

स्पीति के लोग जीवन-यापन के लिए किन कठिनाइयों का सामना करते हैं?

Answer:

स्पीति के लोग जीवन-यापन के लिए वर्ष में एक बार होने वाली फसल पर निर्भर करते हैं। यहाँ केवल आलू, मटर तथा जौ की पैदावार होती है। यही उनके जीवन का सहारा है। इसके अतिरिक्त यहाँ पर सर्दी अत्यधिक पड़ती है। अधिकतर समय यहाँ पर बर्फ पड़ी रहती है। इस कारण से लोग वर्ष में 8 से लेकर 9 महीनों तक संसार से कट जाते हैं। बर्फ के कारण यहाँ पर पेड़-पौधे भी पनप नहीं पाते हैं। अतः अत्यधिक ठंड में लकड़ी का भी सुख नहीं मिलता है। यहाँ पर यातायात के साधन सुगम नहीं है। अतः जन-जीवन 8 से लेकर 9 महीनों तक अस्त-व्यस्त रहता है।

Page No 77:

Question 3:

लेखक 'माने' श्रेणी का नाम बौद्धों के 'माने' मंत्र के नाम पर करने के पक्ष में क्यों हैं?

Answer:

लेखक का मानना है कि 'माने' नाम बौद्धों के मंत्र 'माने' से पड़ा है। लेखक कहता है कि बौद्धों का मंत्र ''ओं मणि पद्में हुं'' माने मंत्र कहलाता है। यदि ऐसा नहीं हुआ है, तो इन श्रृंखलाओं में 'माने' का जाप इतना किया गया है कि इसका नाम 'माने' रखना ही उसे उचित लगता है। इसलिए लेखक माने श्रेणी का नाम बौद्धों के माने मंत्र के नाम पर करने के पक्ष में हैं।

Page No 77:

Question 4:

ये माने की चोटियाँ बूढ़ें लामाओं के जाप से उदास हो गई हैं- इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने युवा वर्ग से क्या आग्रह किया है?

Answer:

इस पंक्ति के माध्यम से लेखक ने युवा वर्ग से आग्रह किया है कि वे यहाँ आएँ और अपने किलोल से माने की चोटियों में व्याप्त उदासी में सरसता का संचार करें। इस तरह जाप से उदास ये चोटियाँ खिलखिला उठेगीं। यहाँ उत्साह, उमंग और ताज़गी संचार करने लगेगीं। यह युवा वर्ग ही कर पाएँगे।

Page No 77:

Question 5:

वर्षा यहाँ एक घटना है, एक सुखद संयोग है- लेखक ने ऐसा क्यों कहा है?

Answer:

वर्षा न होने के कारण ही स्पीति की भूमि सूखी तथा बंजर है। स्पीति ऐसे स्थान पर बसा है, जहाँ पर वर्षा बहुत मुश्किल से होती है। यदि होती भी है, तो बहुत ही कम। अतः यहाँ वर्षा होना एक घटना है, एक सुखद संयोग है। यहाँ जब वर्षा होती है, स्पीति के लोग प्रसन्नता से भर जाते हैं।

Page No 77:

Question 6:

स्पीति अन्य पर्वतीय स्थलों से किस प्रकार भिन्न है?

Answer:

स्पीति का प्राकृतिक सौंदर्य अन्य पर्वतीय स्थलों से भिन्न हैं। यहाँ की चोटियाँ वृक्ष रहित और विशाल हैं। यह अत्यधिक ठंड से युक्त स्थान है। यह हिमालय की मध्य घाटी में स्थित हैं। यह अन्य पर्वतीय स्थलों के समान पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं है। अतः वहाँ मिलने वाली सुविधाएँ यहाँ पर नहीं है। यह शांत है और आबादी से अछूता है। हरियाली नहीं होने के बाद भी इसका सौंदर्य अद्भुत है।

Page No 77:

Question 1:

स्पीति में बारिश का वर्णन एक अलग तरीके से किया गया है। आप अपने यहाँ होने वाली बारिश का वर्णन कीजिए।

Answer:

मेरे शहर में तीन महीने तक बारिश होती है। बारिश ऐसी होती है कि नदी-नाले सब भर जाते हैं। तेज़ आँधी के साथ झमाझम बारिश होती है। दिल प्रसन्न हो जाता है। चारों और पानी ही पानी होता है। लोग घरों में रहना पसंद करते हैं। वातावरण में ठंडक होती है। गर्मी के बाद बारिश का अपना ही आनंद होता है। एक दिन मैं घर पर थी। बहुत गर्मी हो रही थी। उस दिन मौसम अचानक बदल गया। आकाश में बादल छा गए। बादल भयंकर गर्जना कर रहे थे। बिजली चमक रही थी। बिजली की गर्जन से मैं डर गई थी। धीरे-धीरे रिमझिम बारिश होने लगी। मैं खिड़की से यह सारा दृश्य देख रही थी। बूंदों की झड़ी ने प्यासी धरती की प्यास बुझा दी। मिट्टी की खुशबू वातावरण में फैल गई। मौसम में ठंडक छा गई। यह झड़ी कुछ देर के लिए नहीं बल्कि पूरा दिन और पूरी शाम झरती रही। बाद में मैंने और मेरे भाई ने भी इसका बहुत आनंद उठाया। हम तीन घंटों तक बारिश में नहाते रहे।

Page No 77:

Question 2:

स्पीति के लोगों और मैदानी भागों में रहने वाले लोगों के जीवन की तुलना कीजिए। किन का जीवन आपको सबसे ज्यादा अच्छा लगता है और क्यों?

Answer:

स्पीति के लोगों और मैदानी भागों में रहने वाले लोगों के जीवन की तुलना करें, तो मैदानी भागों में रहने वाले लोगों का जीवन अधिक बेहतर है। उन्हें मौसम की मार और प्रकृति की मार को एक साथ नहीं झेलना पड़ता है। उनकी ज़िंदगी शांत और धीरे चलने वाली है मगर अभावों से भरी हुई है। इतनी कम आबादी वाले क्षेत्र में लोगों को बहुत प्रकार की सुविधाओं से अलग रहना पड़ता होगा। उनके स्वयं के लिए खाने-पीने, आने-जाने, चिकित्सा संबंधी तथा नौकरी संबंधी सुविधाएँ नदारद होगीं। इससे उनका जीवन कष्टमय होगा। 8-9 महीनों तक सबसे कटे रहने का अर्थ है, जिंदगी का रूक जाना। घरों में बंद रहना। यह जीवन तो ऐसा है, जैसे पिंजरे में पक्षी रहा करते हैं। इससे अच्छा मैदानी इलाकों के लोगों का जीवन है। सबकुछ उनके पास है। उन्हें किसी भी प्रकार की कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता है। वे अलग-थलग नहीं है। यदि कुछ होता है, तो देश के अन्य भागों से सुविधाएँ उपलब्ध करवा दी जाती हैं।



Page No 78:

Question 3:

स्पीति में बारिश एक यात्रा-वृत्तांत है। इसमें यात्रा के दौरान किए गए अनुभवों, यात्रा-स्थल से जुड़ी विभिन्न जानकारियों का बारीकी से वर्णन किया गया है। आप भी अपनी किसी यात्रा का वर्णन लगभग 200 शब्दों में कीजिए।

Answer:

कई बार मैंने मसूरी के बारे में पढ़ा था। मेरा भी मन हुआ कि मैं यहाँ कि यात्रा करूँ परन्तु समय की कमी और साथ न होने के कारण नहीं जा पाया। एक बार परिवार के साथ मसूरी जाने का कार्यक्रम बना। आई.एस.बी.टी. बस अड्डे से रात 10:30 बजे हम दिल्ली से मसूरी जाने वाली बस में सवार हुए। ग्यारह बजे ड्राइवर ने बस चला दी और हमारी बस आई.एस.बी.टी. से निकलती हुई सरपट मार्ग पर दौड़ने लगी। मार्ग पर चारों तरफ अन्धकार छाया हुआ था। परन्तु मार्ग पर लगी अनगिनत स्ट्रीट-लाईट मानो उस अंधकार को दूर भगा रहीं थीं। प्रात: पाँच बजे हमारी बस मसूरी के 'लाइब्रेरी' नामक स्थान पर पहुँच गई। हम वहाँ के मसूरी होटल में ठहरे। हम सब शौच व स्नान आदि से निवृत्त होकर 9:00 बजे माल रोड़ में घूमने निकले। बाज़ार की शोभा देखते ही बनती थी। चारों तरफ लोगों की चहल-पहल थी। उसके ऊपर से मसूरी का मौसम बहुत ही अच्छा था। पूरे दिन बाज़ार में घूमते हुए हमने मछली घर में रंग-बिरंगी मछलियाँ देखी। हम 'केमल रॉक' नामक स्थान में भी गए। वह स्थान बिल्कुल शान्त व सुन्दर था। दूर-दूर तक ऊँचे-ऊँचे पर्वत, सुन्दर और गहरी घाटियाँ दिखाई दे रही थीं। ठंडी हवाएँ कानों व हाथों को जमा रहीं थीं। अपनी ही आवाज़ गूंजती हुई प्रतीत हो रही थी। खड़े वृक्ष मानो हमारे साथ उस शांति का आनंद ले रहे थे। जिधर दृष्टि डालो, उधर ही हरियाली आँखों को भा रही थी। मन पर्वतीय प्रदेश की सुंदरता और शांति में कहीं खो गया था।
अगले दिन हम 'कैम्टीफॉल' नामक स्थान को देखने के लिए निकल पड़े। हमने एक जीप किराए पर ली। जीप में जाना बड़ा सुखद अनुभव था। कैम्पटीफॉल पहुँचने के लिए हम सब बहुत उत्साहित थे। हमारा हृदय पर्वतीय सुन्दरता को देखकर आनंदित हो रहा था। वह स्थान लोगों से भरा हुआ था। पहाड़ की एक चोटी से काफी मोटी जलधारा निकल रही थी। नीचे पानी का एक छोटा-सा तालाब था। बच्चे, बूढ़े, स्त्री-पुरुष सभी उस जल में अठखेलियाँ कर रहे थे। हमने भी उस जल में खूब मस्ती की। वहाँ तीन घण्टे बिताने के पश्चात समीप ही स्थित कम्पनी गार्डन नामक स्थान में भी गए।
उस गार्डन में सफेद, गुलाबी, नीले जामुनी विभिन्न तरह के रंगों के फूल खिले हुए थे। वहाँ की शोभा देखते ही बनती थी। फूलों से पौधे ऐसे लदे हुए थे मानो वह गुलदस्ते में सजा कर रखे गए हों। दो घंटे बिताने के पश्चात हम होटल में वापस आ गए। मसूरी में शाम के समय मौसम बहुत सुहावना हो रहा था। पर्वतों से बादल ऐसे निकल रहे थे मानो रुई के फोहे निकल रहे हों। धीरे-धीरे चारों ओर कोहरे का साम्राज्य छाने लगा और देखते ही देखते वर्षा होने लगी। वर्षा में मसूरी के बाज़ार की शोभा देखने योग्य थी। मसूरी का वास्तविक जीवन बाज़ार में ही दिखाई दे रहा था। वहाँ के स्थानीय निवासी बड़े मददगार व शान्त स्वभाव के थे। वर्षा से धुले आकाश व धरती की शोभा मन को हरने वाली थी। वह शाम आज भी मुझे याद है। चारों ओर ऊँचे पेड़ों से आच्छादित और हरियाली से युक्त पर्वत मन को आनंदित कर रहे थे। रात के समय मसूरी की सुन्दरता देखने योग्य थी। पूरा बाज़ार रोशनी से चमक रहा था ऐसा लगता था मानो तारे आकाश से उतरकर मसूरी की पहाड़ियों पर ही निवास करने लगे हों। उस सर्दीली रात में आकाश में चमकते तारे व ज़मीन पर बिजली से बने तारे वातावरण में चार चाँद लगा रहे थे। होटल के कमरे से देहरादून शहर दिखाई दे रहा था। रोशनी से दमकता देहरादून स्वर्ग के समान और मसूरी स्वर्ग का रास्ता प्रतीत हो रहा था।

Page No 78:

Question 4:

लेखक ने स्पीति की यात्रा लगभग तीस वर्ष पहले की थी। इन तीस वर्षों में क्या स्पीति में कुछ परिवर्तन आया है? जानें, सोचें और लिखें।

Answer:

इन तीस वर्षों में स्पीति में बहुत परिवर्तन आया है। वहाँ तक पहुँचने के लिए अच्छे मार्ग बन गए हैं। अब वह पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्धि पा चूका है। यहाँ उगने वाली फसलें अब मनाली में भेजी जाती हैं। गर्मी के दिनों में मनाली से स्पीति जाने के लिए बस, गाड़ियाँ आदि चलाई जाती हैं। अब लोगों को इस पर्यटन स्थल के बारे में जानकारी हैं और वे अपनी मोटरबाईकों से आते-जाते हैं।

Page No 78:

Question 1:

पाठ में से दिए गए अनुच्छेद में क्योंकि, और, बल्कि, जैसे ही-वैसी ही, मानो, ऐसे, शब्दों का प्रयोग करते हुए उसे दोबारा लिखिए-

लैंप की लौ तेज की। खिड़की का एक पल्ला खोला तो तेज़ हवा का झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा। मैंने पल्ला भिड़ा दिया। उसकी आड़ से देखने लगा। देखा कि बारिश हो रही थी। मैं उसे देख नहीं रहा था, सुन रहा था। अँधेरा, ठंड और हवा का झोंका आ रहा था। जैसे बर्फ का अंश लिए तुषार जैसी बूँदें पड़ रही थीं।

Answer:

मैंने जैसे ही लैंप की लौ तेज की, वैसे ही खिड़की का एक पल्ला खुल गया। खिड़की से आती तेज़ हवा का झोंका मुँह और हाथ को जैसे छीलने लगा। मैंने पल्ला भिड़ा दिया और उसकी आड़ से देखने लगा। देखा कि बारिश हो रही थी। मैं उसे देख नहीं रहा था बल्कि सुन रहा था। अँधेरा, ठंड और हवा का झोंका ऐसे आ रहा था मानो बर्फ का अंश लिए तुषार जैसी बूँदें पड़ रही थीं।



View NCERT Solutions for all chapters of Class 14