write a letter on "apne chot bhai ko buri aadto se dur rehne ki slah dete hua"

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दिनांक : 

 

प्रिय मनोज,

बहुत प्यार!

 

आशा करता हूँ कि तुम यहाँ सकुशल होंगे। कल पिताजी का पत्र आया था। उनसे मुझे ज्ञात हुआ कि तुम्हारे विद्यालय से प्रधानाचार्य का शिकायती पत्र आया था। उनके अनुसार तुम कक्षा में नियमित रूप से नहीं आया करते हो। पढ़ाई में तुम्हारा मन नहीं लगता है। आए दिन किसी-न-किसी अध्यापक द्वारा तुम्हारी शिकायत की जाती है। इस तरह सबको परेशान करना अच्छी बात नहीं है। तुम्हारे इस व्यवहार से हमें निराश होती है। गलत संगति में पढ़कर तुम अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हो। मैं यह मानता हूँ कि मित्रों की संगति से अकेलापन दूर होता है। परन्तु ऐसे मित्र जो तुम्हारे भविष्य को अंधकारमय कर दे, उनसे दूर रहना ही उचित है। ऐसे मित्र बनाओ जो तुम्हें सद्मार्ग में ले जाएँ।

 

भाई, तुम्हारी योग्यता को देखते हुए पिताजी ने तुम्हें दून विद्यालय भेजने का निश्चय किया था। उनको विश्वास था कि वहाँ का शिक्षामय व अनुशासन युक्त वातावरण तुम्हारे गुणों का विकास करेगा। आगे चलकर तुम भविष्य में उनका नाम अवश्य करोगे। उनको तुमसे बहुत आशाएँ हैं। तुम्हारी पढ़ाई के लिए उन्हें कठिन परिश्रम करना पड़ता है। अपने घर की आर्थिक स्थिति से तुम भली-भांति परिचित हो।

तुमसे मेरी यही राय है कि तुम अपना पढ़ाई में मन लगाओ। अच्छे लोगों से मित्रता करो। नियमित रूप से अपनी कक्षा में जाओ, देखना एक दिन तुम्हें सबसे बहुत स्नेह मिलेगा। मुझे आशा है कि तुम मेरी सलाह पर ध्यान देते हुए उसका पालन करोगे।

 

तुम्हारा भाई,

गौरव

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