Why is hockey called the national game of India ?

विश्व में हॉकी के उद्भव व विकास में मतभेद माना जाता है। एक मत के अनुसार ईसा से दो हजार वर्ष पूर्व हॉकी का खेल फारस में खेला जाता था। वहाँ से होता हुआ, यह यूनान के ओलंपिक में भी खेला जाने लगा। परन्तु एक मत के अनुसार इसका आरम्भ ईरान से हुआ मानते हैं। भारत में हॉकी का आगमन 1908 में हुआ था। 7 नवम्बर, 1925 को 'अखिल भारतीय हॉकी संघ'की स्थापना हुई थी। इसके बाद 1926 से 1980 तक का काल भारत में हॉकी के स्वर्णिमकाल के रूप में जाना जाता है। हॉकी ही एक ऐसा खेल था, जिसने गुलामी की बेड़ियों में जकड़े भारतीयों को सम्मान से सर उठाने का मौका दिया था। मेजर ध्यान चंद का इसमें मुख्य हाथ रहा है। वह 'हॉकी के जादूगर' कहलाए जाते थे। जर्मनी के शासक हिटलर को ध्यान चंद के खेल ने चमत्कृत कर दिया था। हिटलर इनके खेल से इतना प्रभावित हुआ था कि उसने इन्हें जर्मन नागरिकता और जर्मन सेना में जनरल बना देने की पेशकश की थी। लेकिन ध्यान चंद ने इस पेशकश को विनम्रता से लौटा दिया। ध्यान चंद ऐसे लोगों में से एक थे, जिन्होंने गुलाम भारत को विश्व में विशिष्ट पहचान दिलाई।

इनकी अगुवाई में भारत ने 1928, 1932 और 1936 में ओलंपिक में तीन बार स्वर्ण पदक जीता था। आगे चलकर 1975 में भारत ने विश्वकप जीतने में भी सफलता पाई थी। भारत की हॉकी के लिए यह गर्व की बात थी। हॉकी के इस अभूतपूर्व प्रदर्शन ने हॉकी को भारत का राष्ट्रीय खेल बना दिया। हॉकी ने अपनी विशेषता के कारण प्रत्येक भारतीय के दिल में विशिष्ट स्थान प्राप्त किया। धनराज पिल्लै ऐसे दूसरे व्यक्ति हैं, जिन्हें हॉकी का प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित खिलाड़ी माना जाता है। इनके प्रयासों के कारण भी हॉकी को लंबे समय तक के लिए जाना जाता है।

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Field hockey was considered the national game of India, till recently India denied having bestowed any such title on the sport in reply to an act filed under Right to Information. India had showed unrivalled dominance over field hockey till the 1970's and won eight gold medals, accolades perhaps leading one to assume field hockey as being India's national game.

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