summary of lakh ki chudiyaan

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'लाख की चूड़ियाँ' पाठ बदलू नामक व्यक्ति पर आधारित है। बदलू लाख की चूड़ियाँ बनाने वाला कारीगर है। उसका यह व्यवसाय पुश्तैनी है और उसकी जीविका का साधन भी है। आस-पास के गाँवों में उसकी चूड़ियाँ प्रसिद्ध है । परन्तु काँच की चूड़ियों के बाज़ार में आने से उसका यह व्यवसाय बंद हो जाता है। इस पाठ के माध्यम से लेखक हमारे पुश्तैनी काम करने वाले कारीगरों की गिरती हुई स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहता है। हमारा देश तेज़ी से प्रगति कर रहा है। परन्तु आज यह प्रगति हमारी प्राचीन धरोहर को मिट्टी में मिला रही है। हम जाने-अनजाने अपनी इस धरोहर से किनारा काट रहे हैं। बदलू के माध्यम से लेखक यह स्पष्ट करता है कि यदि ऐसा ही होता रहा तो एक दिन हमारे पास अपना कहने के लिए कुछ नहीं बचेगा। हमारी पहचान हमारी ये धरोहरें हैं। जबसे हम आधुनिक मशीनों का सहारा लेने लगे हैं, ये धरोहरें हमारा साथ छोड़ रही है। हमारे यह कारीगर भूखे व बेकार हो रहे हैं। इस तरह तो हमारा देश प्रगति तो कर लेगा परन्तु इतनी बड़ी कीमत चुकाकर जो शायद उचित नहीं है।

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