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उत्तर– हीरा और मोती दोनों ने।

हीरा और मोती शोषण के विरुद्ध हैं वे हर शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठाते रहे। हालाँकि इसके लिए उन्हें प्रताड़ना सहनी पड़ी तथा बहुत कष्टो का सामना भी करना पड़ा। उन्होंने झूरी के साले गया का विरोध किया तो सूखी रोटियाँ और डंडे खाए फिर काँजीहौस में अन्याय का विरोध किया और बंधन में पड़े। मेरे विचार से उन्होंने शोषण का विरोध करके ठीक किया क्योंकि शोषित होकर जीने का क्या लाभ। शोषित को भय और यातना के सिवा कुछ प्राप्त नहीं होता। सहन शक्ति भी हद तक जवाब दे जाती है।

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Moti na
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