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उत्तर :- 

(i) देश-प्रेम के लिए मनुष्य को अपनी भूमि के प्रति स्वाभाविक ममता होने की आवश्यकता है, किसी प्रकार के आकर्षण की आवश्यकता नहीं है ।
(ii) ऐसे लोग जो मातृभूमि के नारे लगाने को ही देश प्रेम समझते हैं, जिनका देश प्रेम उनके स्वार्थ पर टिका हुआ होता है । आज उस प्रकार के देश-प्रेमियों की कोई आवश्यकता नहीं है ।
(iii) प्रस्तुत गद्यांश को पढ़कर सच्चे देशप्रेम की प्रेरणा मिलती है । किस प्रकार के देशप्रेम को सच्चा देश-प्रेम कहेंगे, इस बात का पता भी हमें इस गद्यांश से होता है ।
(iv) देशवासी - देश का वासी [तत्पुरुष समास]
(v) सच्चा देशप्रेम 
 

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