Please help how to do
उत्तर :-
(i) मनुष्य संसार का श्रेष्ठ प्राणी है क्योंकि उसके पास चिंतन और मनन की अद्भुत शक्ति है । और इन्हीं शक्तियों के आधार पर वह एक नए संसार को बसा लेता है ।
(ii) ध्येय अथवा लक्ष्य के बिना हमारा जीवन ऐसा है, जैसे कोई नाविक अपने बिना पतवार और डाँड़ों के नाव को समुद्र में भाग्य के भरोसे छोड़ दे । इसी प्रकार बिना लक्ष्य के जीवन का परिणाम भयंकर होता है ।
(iii) ध्येय चुनते समय स्वार्थ और परमार्थ में समन्वय रखना चाहिए । इसके साथ ही उस ध्येय के प्रति अपनी रुचि का होना भी आवश्यक है ।
(iv) समन्वय का संधि विच्छेद - समनु + अय [यण संधि]
(v) संसार - दुनिया, विश्व, जगत
(i) मनुष्य संसार का श्रेष्ठ प्राणी है क्योंकि उसके पास चिंतन और मनन की अद्भुत शक्ति है । और इन्हीं शक्तियों के आधार पर वह एक नए संसार को बसा लेता है ।
(ii) ध्येय अथवा लक्ष्य के बिना हमारा जीवन ऐसा है, जैसे कोई नाविक अपने बिना पतवार और डाँड़ों के नाव को समुद्र में भाग्य के भरोसे छोड़ दे । इसी प्रकार बिना लक्ष्य के जीवन का परिणाम भयंकर होता है ।
(iii) ध्येय चुनते समय स्वार्थ और परमार्थ में समन्वय रखना चाहिए । इसके साथ ही उस ध्येय के प्रति अपनी रुचि का होना भी आवश्यक है ।
(iv) समन्वय का संधि विच्छेद - समनु + अय [यण संधि]
(v) संसार - दुनिया, विश्व, जगत