mujhe is path ka bhavarth chahiye

इस पाठ का भावार्थ है कि मनुष्य को अपनी स्वतंत्रता के लिए सदैव सजग रहना चाहिए। गुलामी का जीवन कितना भी अच्छा हो आखिर एक दिन मनुष्य को उससे नफ़रत हो जाती है। यदि हम अपनी आज़ादी के प्रति सजग होगें, तो समाज में भी प्रेरणा के बीज डाल सकते हैं।

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