"Kathputli" kavita ka mul bhav apne shabdo me vistar se samjhaye.(pls ans fast!!!)

कठपुतली का मूलभाव है कि हमें अपनी स्वतंत्रता के लिए सचेत रहना चाहिए। कवि कठपुतली के माध्यम से यह बात व्यक्त करता है। कठपुतली दूसरों की अंगुलियों पर नाचती है। इससे उसका अपना कुछ नहीं रहता। उसके हाव-भाव यहाँ तक की उसके चलने फिरने तक को अंगुलियाँ तय करती है। ऐसे में कठपुतली दूसरे पर निर्भर है। लेखक यही स्थिति एक गुलाम व्यक्ति की दर्शाना चाहता है। उसके अनुसार गुलामी की जंजीर को तोड़ना आवश्यक है। हमें जहाँ लगे कि दूसरा हमारी आज़ादी का हनन कर रहा है वहाँ तुरंत आवाज़ उठाए। इससे और लोग भी सचेत हो जाएंगे और हम आज़ाद रह पाएंगे।

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