पक्षी और बादल की चिट्ठियों के आदान-प्रदान को आप किस दृष्टि से देख सकते हैं?

पक्षी और बादल की चिट्ठियों को अगर एक दृष्टि से देखा जाए तो वह सद्भावना और प्यार का प्रसार है। यह हृदय को छूने वाली बात है। क्योंकि इनका आदान-प्रदान हमारे लिए एक सीख है, वो भी ऐसी सीख अगर इसे मनुष्य अपने मन में धारण कर ले, तो आज किसी भी देशों के बीच युद्ध की नौबत नहीं आएगी। हम अगर इस तथ्य को समझ जाएँ तो हमारे हृदय से द्वेषभावना की मलिनता धूल जाएगी। इसलिए शायद रामधारी सिंह ''दिनकर'' जी ने इन दोनों को उदाहरण के रूप में प्रदर्शित किया है। ये उदाहरण हमारे द्वारा नकारे नहीं जा सकते हैं। पक्षी और बादल सद्भावना का ऐसा रूप प्रस्तुत करते हैं जो अद्भुत है। क्या हम मनुष्य इनसे सीख नहीं ले सकते? क्या इस सद्भावना को कायम करने के लिए हम प्रयास नहीं कर सकते आखिर क्यों? हमें सद्भावना के उदाहरण प्रस्तुत करने की आवश्यकता ही क्यों पड़े? क्या हम स्वयं कदम नही बढ़ा सकते? ये अपनी मधुर आवाज़ पानी को समान रूप से हर देश की धरती को देते हैं क्या हम अपने प्रेम को नहीं दे सकते? अगर हम ये करने में सफल हो गए तो रामधारी सिंह ''दिनकर'' जी के ये उदाहरण सार्थक सिद्ध हो जाएँगे और इनकी तरह हम भी सद्भावना प्यार की एक मिसाल कायम कर पाएँगे।

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