लेखक को टोपी से महंगा जूता क्यू लगा?
उत्तर :-
प्रस्तुत व्यंग्य में लेखक ने जूते को सामर्थ्य और संपत्ति का प्रतीक बताया है और टोपी को इज्जत और मान का प्रतीक । लेखक को टोपी से महँगा जूता लगता है क्योंकि संपत्ति के समक्ष इज्जत और मान का कोई भी महत्व नहीं है । पाठ में लेखक यह भी कहता है कि एक जूते के दाम में कई टोपियाँ खरीदी जा सकती हैं । ऐसा उन्होंने पूँजीपतियों पर व्यंग्य करते हुए कहा है और इसका यह अर्थ है कि अगर आपके पास पैसा है तो आप कुछ भी खरीद सकते हैं और कुछ भी कर सकते हैं ।
प्रस्तुत व्यंग्य में लेखक ने जूते को सामर्थ्य और संपत्ति का प्रतीक बताया है और टोपी को इज्जत और मान का प्रतीक । लेखक को टोपी से महँगा जूता लगता है क्योंकि संपत्ति के समक्ष इज्जत और मान का कोई भी महत्व नहीं है । पाठ में लेखक यह भी कहता है कि एक जूते के दाम में कई टोपियाँ खरीदी जा सकती हैं । ऐसा उन्होंने पूँजीपतियों पर व्यंग्य करते हुए कहा है और इसका यह अर्थ है कि अगर आपके पास पैसा है तो आप कुछ भी खरीद सकते हैं और कुछ भी कर सकते हैं ।