Hepl by answering

मित्र! 
आपका उत्तर इस प्रकार है-

बिहारी के दोनों में लोकव्यवहार और नीतिज्ञान इत्यादि की बातें भी मिलती हैं। बिहारी का लेखन उन्मुक्त था। बंध कर लिखना पसंद नहीं था। सगुण और निर्गुण दोनों के बारे में लिखते थे। बिहारी राजा, फ़क़ीर, गरीब, अमीर, छोटे, बड़े इत्यादि सबके विषय में लिखते थे। इससे उनका लोकव्यवहार विषय पर ज्ञान प्रकट होता है। बिहारी अपने दोहों में सच्चाई बताते थे जैसे घमंडी व्यक्ति से सब नफरत करते हैं और सरल व्यक्ति से सब प्यार करते हैं। इससे उनके नीतिगत ज्ञान का पता चलता है।  

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