Essay on khanpan ki badalti tadveer


मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इनकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।


व्यंजनों के तस्वीर अब बदल रही है क्योंकि किसी भी एक स्थान का खाना और पीना केवल उसी जगह तक सीमित नहीं है। स्थानीय खान-पान का मज़ा तो लोग लेते हैं मगर साथ-साथ अन्य स्थानों के खान-पान का भी आनंद लेते हैं। स्वदेशी और विदेशी हर प्रकार के खान-पान का लुत्फ़ ले सकते हैं। खान-पान अब एक जगह के होकर नहीं रह गए हैं। इनकी खुशबू चारों और फ़ैल रही है। दक्षिण भारतीय व्यंजन अब केवल दक्षिण भारत में ही नहीं बनता अपितु दक्षिण भारतीय लोगों से भी स्वादिष्ट इडली, डोसा, सांबर इत्यादि उत्तर भारतीय लोग बना लेते हैं।  

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PLEASE VIEW ANSWER FROM THE TEXTBOOK "VASANT BHAG II"
CHAPTER: KHANPAN KI BADALTI TASVEER
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