essay on diwali par patake nahi

भारतीय संस्कृति में दीपावली त्योहार का अपना ही महत्व है। दीवाली रोशनी का त्योहार है । अमावस्या की काली रात में सहस्र दीपों को जलाकर उसे पूर्णिमा की रात में परिवर्तित कर दिया जाता है। परंतु आजकल प्रसन्नता के नाम पर लोग बहुत सारे पटाखे जलाते हैं जोकि पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं, वहीं बहुत सी समस्याएँ भी उत्पन्न करते हैं। दीवाली के अवसर पर आए दिन आग से संबंधित हादसें होते रहते हैं। लोग पटाखों का इस प्रकार प्रयोग करते हैं कि कई लोग भयानक रूप से दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं। इस सब की जड़ें प्रायः पटाखें ही होते हैं। इनसे न तो जलाने वाला सुरक्षित रहता है और न अन्य लोग। हमें चाहिए कि इसका प्रयोग सावधानीपूर्वक करें। पटाखें जलाते समय अपने साथ पानी तथा ऐसे मलहम रखें, जो हमें तुरंत राहत दें। बच्चों को अकेले पटाखें जलाने से रोकें। अस्थमा रोगियों को पटाखों के धुएँ से दूर रखें। बम तथा राकेट ऐसे स्थान पर जलाएँ, जो आबादी से दूर हों।

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