Describe the citadel area of the cities of indus valley civilization
प्रिय मित्र!
आपके प्रश्न के लिए हम अपने विचार दे रहे हैं। आप इसकी सहायता से अपना उत्तर पूरा कर सकते हैं।
भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित सिन्धु घाटी में मोहनजोदड़ो एक नगर था। उस समय भी मोहनजोदड़ो विकसित था। इनकी सभ्यता इतनी मजबूत थी कि आस-पास के नगरों की संस्कृति भी इनके विकास और परिवर्तन को छू न पाई। प्राचीन और ऐतिहासिक नगर की व्यवस्था कितनी मजबूत और अच्छी थी। घरों से पानी की निकासी के लिए नालियों को सुव्यवस्थित प्रकार से बनाया गया था। गलियाँ बनाने का ढंग बहुत व्यवस्थित था। इस नगर पर आस-पास के नगरों की संस्कृति का कोई असर नहीं हुआ है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता का जीता जागता उदाहरण मोहनजोदड़ो नगर है। सिन्धु घाटी की सभ्यता अपने आप में एक पूर्ण सभ्यता थी। उनकी संस्कृति बहुत समृद्ध थी। सारी व्यवस्था इतने सुंदर ढंग से व्यवस्थित और निर्मित थी कि उनको आज भी आधार बना कर देखा जाता है। सिन्धु घाटी में किसी धर्म विशेष को नहीं माना जाता था। उनकी सामाजिक परिस्थिति बेहतर थी। मिस्र इत्यादि देशों के साथ व्यापार किया जाता था। उनके घरों से पानी के निकासी की व्यवस्था, घर बनाने की विधि, ताम्बा धातु के उपयोग इत्यादि को देख कर उनके कौशल और हुनर को जाना जा सकता है। मोहनजोदड़ो आज से लगभग पाँच हज़ार वर्ष पूर्व निर्मित हुआ था।
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भारत के उत्तर-पश्चिम में स्थित सिन्धु घाटी में मोहनजोदड़ो एक नगर था। उस समय भी मोहनजोदड़ो विकसित था। इनकी सभ्यता इतनी मजबूत थी कि आस-पास के नगरों की संस्कृति भी इनके विकास और परिवर्तन को छू न पाई। प्राचीन और ऐतिहासिक नगर की व्यवस्था कितनी मजबूत और अच्छी थी। घरों से पानी की निकासी के लिए नालियों को सुव्यवस्थित प्रकार से बनाया गया था। गलियाँ बनाने का ढंग बहुत व्यवस्थित था। इस नगर पर आस-पास के नगरों की संस्कृति का कोई असर नहीं हुआ है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता का जीता जागता उदाहरण मोहनजोदड़ो नगर है। सिन्धु घाटी की सभ्यता अपने आप में एक पूर्ण सभ्यता थी। उनकी संस्कृति बहुत समृद्ध थी। सारी व्यवस्था इतने सुंदर ढंग से व्यवस्थित और निर्मित थी कि उनको आज भी आधार बना कर देखा जाता है। सिन्धु घाटी में किसी धर्म विशेष को नहीं माना जाता था। उनकी सामाजिक परिस्थिति बेहतर थी। मिस्र इत्यादि देशों के साथ व्यापार किया जाता था। उनके घरों से पानी के निकासी की व्यवस्था, घर बनाने की विधि, ताम्बा धातु के उपयोग इत्यादि को देख कर उनके कौशल और हुनर को जाना जा सकता है। मोहनजोदड़ो आज से लगभग पाँच हज़ार वर्ष पूर्व निर्मित हुआ था।