can any one give me thepratipadha for sham- ek kissan

मित्र शाम एक किसान में कवि ने प्रकृति को मानवीय रूप में प्रस्तुत किया है। इस कविता में कवि पहाड़ की तुलना एक किसान से करता है जो आराम से बैठा हुआ है। उसके घुटनों से निकलती नदी किसान के घुटनों में कंबल के समान लगती है और उसके सर पर बंधा हुआ साफा आकाश के समान लगता है। पलाश के पेड़ पर खिले हुए लाल रंग के फूल उसे जलती हुए अँगीठी के समान व पूर्व दिशा में घना अंधकार भेड़ों के झुंड के समान दिखाई देता है। शाम के समय वातावरण में शांति छाई हुई होती है की उसे मोर की आवाज सुनाई देती है। यह आवाज उसे किसान की पत्नी की आवाज के समान लगती है। मानो वह पुकारकर कह रही हो-अजी सुनते हो। पत्नी की आवाज से किसान हड़बड़ा जाता है और सूरज रूपी चिलम गिरकर उलट जाती है जिससे आग बुझ जाती अर्थात सूरज डूब जाता है और अँधेरा छा जाता है। कवि ने प्रकृति का बड़ा सुन्दर चित्रण किया है। यह आभास ही नहीं होता की वह प्रकृति के बारे में कह रहा है या मनुष्य के बारे में।

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