autobiography of sound in hindi

autobiography of sound in hindi
  • -1
मैं तो इस संसार में एक महान शक्ति हूँ ।   दुनिया में  शक्ति  बहुत रूपों में प्रकट होती है ।   वे हैं आकाश में  सूरज का प्रकाश (रोशन), ध्वनि, बिजली, मागनेट वाली अयस्कांत आकर्षण  शक्ति,  हवा चलने की शक्ति, समुंदर की  लहरों की शक्ति, भूमि की   आकर्षण शक्ति ।     मैं ध्वनि  हूँ   और  शब्दों और आवाज  के रूप में  सब को  सुनाई पड़ती हूँ ।   

       मनुष्य और सब जानवरों के इंद्रिर्यों में दो कानों से मैं सब को सुनाई पड़ती हूँ ।  पेड़ और पौधे भी मुझे सुन सकते हैं ।    मैं  अदृश्य रूप में हवा में ,  पानी  में, और सब छीजो मे   लहराते हुए कानों तक पहुंचता हूँ ।   मैं  दिखाई नहीं देती, सिर्फ सुनाई पढ़ती हूँ।
 जब भी कुछ चीज बहुत तेजी से हिलती है या  कांपती है, मैं पैदा होती हूँ।  जब कुछ चीजें  टकराती  हैं , तब भी मैं पैदा होती हूँ।  मैं सब के गलों में हुई स्वरपेटी से निकलती हूँ।   सब लोग और जानवर एक दूसरों से बातें करने में और समझने में  मदद करता हूँ ।    अच्छी    संगीत  सुनने के लिए  मेरी जरूरत हैं।  संगीत सिर्फ ध्वनि  के रूप में  कानों में पहुँचती है।    

     अगर मैं नहीं होती, मनुष्य जात आगे नहीं बढ़ता ।   एक के अंदर के भाव दूसरा नहीं समझ नहीं पाता ।   सोचो  कितना मुश्किल होता  जीना , अगर हम किसी और को अपनी मन की बात समझा नहीं पाये तो ।  

      मैं, ध्वनि,  अच्छी अच्छी मीठी मीठी बातों से ,  और सुरीली   संगीत की लहरों से,   सब के मन  भाती   हूँ ।   इसलिए हम सब को मीठी मीठी बोलनी चाहिए ।   लेकिन  आजकल शोर, तेज आवाजें करके   (यानि ध्वनी के  प्रदूषण से) और लोगों को  बहुत परेशान करते हैं ।   कुछ लोग मेरे द्वारा, यानि ध्वनि से, भी प्रदूषण  फैलाते हैं ।  उन सब से मैं यही एक विनती करती हूँ की मेरी सही इस्तेमाल किया जाय  ।  
  • 10
                          ध्वनि 

       मैं तो इस संसार में एक महान शक्ति हूँ ।   दुनिया में  शक्ति  बहुत रूपों में प्रकट होती है ।   वे हैं आकाश में  सूरज का प्रकाश (रोशन), ध्वनि, बिजली, मागनेट वाली अयस्कांत आकर्षण  शक्ति,  हवा चलने की शक्ति, समुंदर की  लहरों की शक्ति, भूमि की   आकर्षण शक्ति ।     मैं ध्वनि  हूँ   और  शब्दों और आवाज  के रूप में  सब को  सुनाई पड़ती हूँ ।   

       मनुष्य और सब जानवरों के इंद्रिर्यों में दो कानों से मैं सब को सुनाई पड़ती हूँ ।  पेड़ और पौधे भी मुझे सुन सकते हैं ।    मैं  अदृश्य रूप में हवा में ,  पानी  में, और सब छीजो मे   लहराते हुए कानों तक पहुंचता हूँ ।   मैं  दिखाई नहीं देती, सिर्फ सुनाई पढ़ती हूँ।   कुछ जानवर सिर्फ मेरी  शक्ति से  अपने  परिसर को पहचानते हैं।   कुछ जानवर  उनके आवाजों से  अपने लोगों कों पहचानते हैं । 

      जब भी कुछ चीज बहुत तेजी से हिलती है या  कांपती है, मैं पैदा होती हूँ।  जब कुछ चीजें  टकराती  हैं , तब भी मैं पैदा होती हूँ।  मैं सब के गलों में हुई स्वरपेटी से निकलती हूँ।   सब लोग और जानवर एक दूसरों से बातें करने में और समझने में  मदद करता हूँ ।    अच्छी    संगीत  सुनने के लिए  मेरी जरूरत हैं।  संगीत सिर्फ ध्वनि  के रूप में  कानों में पहुँचती है।    

     अगर मैं नहीं होती, मनुष्य जात आगे नहीं बढ़ता ।   एक के अंदर के भाव दूसरा नहीं समझ नहीं पाता ।   सोचो  कितना मुश्किल होता  जीना । 

   ध्वनि  अच्छी बातों में,  सुरीले  संगीत की रूप में,    सब के मन  भाता हूँ ।  लेकिन  ध्वनी के  प्रदूषण से लोग बहुत परेशान होते हैं ।  कुछ लोग ध्वनि का प्रदूषण  फैलाते हैं ।   
  • 1
What are you looking for?