Subject: Hindi, asked on 26/9/17

प्रश्न 1-निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए–
मादक वस्तुओं के निरंतर सेवन से शरीर में शिथिलता आना स्वाभाविक है। फलस्वरूप जीवंतता नष्ट हो जाती है और जीवन मैं हमेशा अतृप्ति सी बनी रहती है। इन वस्तुओं से एक भी लाभ नहीं, सभी दुर्गुणों की खान है। फिर भी मादक वस्तुओं का प्रचार-प्रसार दिन–दूनी, रात-चौगुनी उन्नति कर रहा है। गाँव में भांग, गाँजा, तंबाकू, चरस, मदिरा आदि का प्रचार हो गया है। पहले तो एकाध आदमी ही नशेबाज था, पर आज स्कूल के लड़के से लेकर अस्सी वर्ष के बूढ़े तक एक झूले में झूल रहें हैं। कुछ दिन पहले एक आदमी जो दूसरे को कोई नशे का सेवन करते देख जल भून जाता था, आज वही स्वयं नशे का शिकार बना हुआ है। शहरों की अवस्था तो और बदतर होती जा रही है। शराब का प्रचलन सीमा से बाहर होता जा रहा है। आज इसका पीना-पिलाना प्रतिष्ठा का लक्षण माना जाने लगा है। सभ्य समाज रूपी घर में जाना के लिए एक प्रवेश-पत्र बन गया है। बिना इसके अंदर जाना असंभव है। इसमें मादक द्रव्यों से कभी-कभी, कुछ परेशानियों में अस्थायी छुटकारा मिल सकता है पर अंत सदा बुरा होता है। प्रायः यह बात दोहराई जाती है कि मनुष्य अपने दुःखों को भुलाने के लिए नशीली चीजों का सेवन करते हैं, पर उन्हें यह बात भी याद रखनी चाहए कि नशीली चीजें उन्हें सदा-सदा के लिए समाप्त कर देंगी। न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी।
क) मादक वस्तुओं का प्रचार-प्रसार किस प्रकार प्रगति कर रहा है?
ख) मादक वस्तुओं के सेवन से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
ग) नशीली वस्तुएँ कौन-कौन सी होती है?
घ) पहले और अब में नशेबाजी की स्थिति में क्या अंतर आया है?
ङ) सभ्य समाज मैं शराब का प्रचलन कैसे बढ़ रहा है?
च) मादक द्रव्यों का सेवन करने वालों को क्या याद रखना चाहिए?

What are you looking for?